देश में पुरानी पेंशन व्यवस्था और नई पेंशन व्यवस्था के विवाद के बीच केंद्र सरकार ने नई पेंशन व्यवस्था को खत्म कर दिया हैं। जिसके बाद एकीकृत पेंशन व्यवस्था, यानि यूनिफाइड पेंशन स्कीम लागू कर दी गई हैं। यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) लॉन्च हुआ तो यह सवाल उठा कि आखिरी पेंशन प्रणाली क्या हैं और यह पुरानी पेंशन स्कीम से कितनी अलग हैं।
आइए जानते है इस स्कीम से जुड़ें कुछ महत्वपूर्ण तथ्य-

क्या है यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS)?
1 अप्रैल, 2025 से, नए पेश किए गए UPS में OPS (Old Pension Scheme) के तत्वों के साथ-साथ एक साझेदारी मॉडल भी शामिल होगा। NPS के समान, कर्मचारी अपने वेतन का 10% पेंशन में योगदान करेंगे, वहीं गवर्नमेंट उनके वेतन का 18.5% पेंशन में योगदान देगी। यह परिवर्तन नॉन- पार्टिसिपेंट OPS मॉडल में विस्तार करता है, जो OPS के नो-कंट्रीब्यूशन मॉडल से अलग है।
इस आधार पर सरकारी कर्मचारियों को निवेश की अनुमति मिलती हैं। यह योजना पेंशन खाते में नियमित योगदान के साथ अपने करियर में कमाए पैसे निवेश करने की मंजूरी देती है। इसके अतिरिक्त, NPS कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर अपनी पेंशन का एक हिस्सा एकमुश्त निकालने की अनुमति देता है। वहीं, बची हुई रकम व्यक्ति से रिटायरमेंट प्लान पर भी निकाल सकते हैं।
NPS और OPS में क्या है अंतर?
न्यूनतम पेंशन
UPS 10 साल से अधिक की सेवा वाले कर्मचारियों को न्यूनतम 10,000 रुपये प्रति माह पेंशन की गारंटी देता है। इसके विपरीत, OPS में न्यूनतम पेंशन राशि निर्धारित नहीं की गई है। हालांकि, पेंशनर्स को आम तौर पर उनकी लास्ट पेंशन का 50% मिलता था, जो आमतौर पर 10,000 रुपये से अधिक होता था।
फैमिली पेंशन
UPS के अनुसार, मृत्यु पर पारिवारिक पेंशन लाभ कर्मचारी की पेंशन का 60% निर्धारित किया जाता है। वहीं, OPS भी फैमिली पेंशन प्रदान करता है, लेकिन आमतौर पर यह कर्मचारी की पेंशन के कम प्रतिशत पर होती थी।
इन्फ्लेशन इंडेक्स
UPS में इन्फ्लेशन इंडेक्स शामिल है, जो ऑल इंडिया कंस्यूमर प्राइस इंडेक्स (AICCPI-IW) पर आधारित है। जो यह सुनिश्चित करता है कि यह पेंशन महंगाई के साथ अडजस्टेबल होगा।
OPS की तुलना में UPS बेहतर लाभ प्रदान करता है, जिसमें बेहतर इन्फ्लेशन प्रोटेक्शन और उच्च पारिवारिक पेंशन दरें शामिल हैं।
