अमेरिका ने हाल ही में अपनी रक्षा रणनीति में बड़ा बदलाव करते हुए B61-13 न्यूक्लियर ग्रैविटी बम के उत्पादन को तेज़ी से आगे बढ़ा दिया है। पहले इस प्रोसेस की 2037 तक पूरा होने की उम्मीद थी, लेकिन यूक्रेन वॉर और मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव को देखते हुए इस योजना को अब 2026 तक पूरा करने का निर्णय लिया गया है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि पुराने बमों को नए मॉडल से बदलने की प्रक्रिया 2028 तक पूरी हो जाएगी।

क्या है ये B61-13 ग्रेविटी बम?
बता दें की B61-13 एक शक्तिशाली परमाणु हथियार है, जिसे अमेरिकी परमाणु आर्सेनल में पुराने मॉडलों को बदलने के लिए डिज़ाइन किया गया है। न्यू मैक्सिको के सैंडिया नेशनल लेबोरेटरीज में बने इस बम में 1980 के दशक के B61-7 बम का अधिक शक्तिशाली वारहेड और B61-12 की अत्याधुनिक सुरक्षा प्रणाली का शानदार संयोजन किया गया है। इसे आने वाले समय में B-21 रेडर स्टील्थ बॉम्बर द्वारा इस्तेमाल किया जाएगा।
हिरोशिमा से 24 गुना अधिक शक्तिशाली
माना जा रहा है की इस हथियार की ताकत 360 किलोटन (360,000 टन TNT) है, जो 1945 में हिरोशिमा पर गिराए गए 15 किलोटन के बम से करीब 24 गुना ज्यादा शक्तिशाली है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इसे बीजिंग जैसे घने आबादी वाले शहर पर इस्तेमाल किया जाए, तो यह लगभग 7,88,000 लोगों की जान ले सकता है और 20 लाख से ज्यादा लोगों को घायल कर सकता है। इतना ही नहीं, इसके असर के क्षेत्र में आने वाली हर चीज़ पलभर में वैपोराइज़ हो जाएगी।
न्यूक्लियर स्टॉक में कोई वृद्धि नहीं, अमेरिका की घोषणा
इस बीच अमेरिकी अधिकारियों ने इसे स्पष्ट किया है कि इस तेज उत्पादन का मकसद परमाणु आर्सेनल को बढ़ाना नहीं है। इसके बजाय, B61-13 बम के एडिशनल यूनिट्स को संतुलित करने के लिए B61-12 बमों का उत्पादन को कम किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य स्टॉक को अपडेट करना है, न कि उसे और बढ़ाना।
बढ़ते तनाव के बीच आवश्यक कदम जरूरी
इस समय वैश्विक संघर्षों के बढ़ने के साथ स्थिति और भी संवेदनशील होती जा रही है। इज़राइल-हमास युद्ध में अब ईरान और यमन भी शामिल हो चुके हैं, जबकि चीन के साथ अमेरिका के रिश्ते और भी तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। माना जा रहा है की बिडेन प्रशासन ने 2023 में इस योजना की शुरुआत की, क्योंकि उसे यह चिंता थी कि रूस का यूक्रेन पर हमला यूरोप में एक बड़े युद्ध को जन्म दे सकता है।
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SUMMARY
अमेरिका ने B61-13 न्यूक्लियर ग्रैविटी बम के उत्पादन को तेज़ किया है, जिसे 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है। यह बम हिरोशिमा से 24 गुना ज्यादा शक्तिशाली है और इसका उद्देश्य पुराने हथियारों को बदलना है। हालांकि, इसका उत्पादन परमाणु आर्सेनल बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि संतुलन बनाए रखने के लिए किया जा रहा है। बढ़ते वैश्विक तनाव के बीच यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
