ट्रम्प प्रशासन ने इमिग्रेशन नीति में कुछ कठोर, लेकिन जरूरी कदम उठाए हैं। नई पॉलिसी लागू करके उन्होंने अवैध प्रवासन पर कड़ी नजर रखते हुए अपने वादे को निभाया है। उन्होंने तुरंत इस दिशा में कदम उठाए, जिसमें सीबीपी वन एप्लिकेशन ( CBP One App) को बंद करना और प्राथमिक नागरिकता रद्द करना शामिल था।
इतना ही नहीं, अमेरिका और मेक्सिको की सीमा पर नेशनल इमरजेंसी भी घोषित किया गया और अवैध मोबिलाइजेशन को रोकने के लिए सेना को भी तैनात किया गया है। चलिए, जानते हैं इस इमिग्रेशन पॉलिसी से जुड़े अन्य बदलावों के बारे में।

18,000 नागरिकों को स्वदेश बुलाने की योजना
आपको बता दें की अमेरिका की इस इमिग्रेशन योजना ने इलीगल माइग्रेंट्स और अस्थायी वीजा पर रहने वालों को उलझन में डाल दिया है। हालांकि इन बड़े बदलावों के बीच, भारत ने अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 18,000 नागरिकों को स्वदेश वापस बुलाने की योजना बनाई है। यह कदम भारत की ट्रम्प प्रशासन के साथ सहयोग और रिश्ते मजबूत करने की इच्छा को दर्शाता है।
अमेरिका में भारतीय अप्रवासी
भारतीय प्रवासी अमेरिका में सबसे बड़े इमिग्रेंट्स कम्युनिटी में से एक माने जाते हैं। इनमें से एक बड़ा हिस्सा कानूनी रूप से देश में रह रहा है, यह विशेष रूप से H1-B वीजा जैसे जॉब बेस्ड वीजा के माध्यम से अधिक देखने को मिला है। 2023 में, जारी किए गए 386,000 H1-B वीजा में से लगभग 75 प्रतिशत भारतीयों को मिले, जो अत्यधिक स्किलड प्रोफेशनल्स की आवश्यकता वाले क्षेत्रों में इंडियंस की प्रमुख भूमिका को उजागर करता है।
हालांकि, बिना डाक्यूमेंट्स वाले भारतीयों की संख्या मेक्सिको और वेनेजुएला जैसे देशों के अप्रवासियों की संख्या से काफी पीछे है। US इमीग्रेशन और कस्टम इंफोर्समेंट (ICE) के नवंबर 2024 के आंकड़ों के अनुसार, डिपोर्टेशन के लिए निर्धारित 1.45 मिलियन में से 17,940 भारतीय नागरिक हैं। यह स्थिति भारत को एशियाई देशों में 13वें स्थान पर रखती है, जबकि चीन 37,908 व्यक्तियों के साथ पहले स्थान पर है। इससे पता चलता है कि भारत का प्रवासी समुदाय सीमित होते हुए भी वैश्विक संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
अमेरिकी इमीग्रेशन पॉलिसी और भारत के चुनौती
बताते चलें की 18,000 भारतीय नागरिकों को स्वदेश भेजने का निर्णय अमेरिकी आव्रजन नीतियों के अनुरूप है, हालांकि भारत के लिए यह कुछ हद तक चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ऐसे में इन व्यक्तियों की पहचान करने और उनकी वापसी की सुविधा के लिए डिप्लोमेटिक और लॉजिस्टिकल कोऑर्डिनेशन की आवश्यकता होगी।
इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि अनडॉउमेंटेड माइग्रेंट्स को प्रभावी रूप से संबोधित करने के लिए लॉन्ग टर्म स्ट्रेटेजी की आवश्यकता है, जिनमें वीज़ा प्रणालियों को मजबूत करना और लीगल इमीग्रेशन रुट्स के प्रति जागरूकता बढ़ाना शामिल है।
अमेरिका के लिए, यह निर्णय उसकी सख्त इमीग्रेशन पॉलिसी के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता को दिखाता है। हालांकि, यह कदम उन उपायों के मानवीय प्रभावों पर भी सवाल उठाता है, विशेष रूप से डिपोर्टेशन के कारण प्रभावित परिवारों और उन व्यक्तियों के लिए, जिन्हें अपने देश लौटने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।
भारत की डिप्लोमेटिक प्रतिक्रिया
इन सभी के बीच यह कहा जा सकता है की भारत की प्रतिक्रिया ट्रम्प की एडमिनिस्ट्रेटिव पॉलिसी के संबंध में घरेलू चिंताओं और डिप्लोमेटिक कोऑर्डिनेशन के बीच संतुलन बनाने के महत्व को दर्शाती है। हालांकि US की स्वदेश वापसी की उम्मीदों के बीच, यह भारत के ग्लोबल माइग्रेशन समस्याओं को जिम्मेदारी से हल करने के इरादे को भी दिखाता है।
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SUMMARY
ट्रम्प प्रशासन ने कठोर इमिग्रेशन नीतियों के तहत अवैध प्रवासियों को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए, जैसे CBP One ऐप बंद करना और सीमा पर सेना तैनात करना। इसके तहत, भारत 18,000 नागरिकों को स्वदेश वापस बुलाने की योजना बना रहा है। यह कदम भारत और अमेरिका के रिश्तों को मजबूत करने के प्रयास साबित हो सकता है।
