America में भारतीयों के लिए समस्या बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। हाल ही में अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (CBP) अधिकारियों द्वारा भारतीय ग्रीन कार्ड धारकों को एयरपोर्ट्स पर अपनी परमानेंट रेजीडेंसी को ‘स्वेच्छा’ से सरेंडर के लिए मजबूर करने की घटनाएं सामने आई हैं। विशेष रूप से बुजुर्ग भारतीय नागरिकों को लंबे समय तक भारत में रहने के बाद, अमेरिका लौटने पर गहन जांच का सामना करना पड़ रहा है।

बुजुर्ग भारतीयों को हिरासत की धमकियां
कुछ रिपोर्ट्स बताती है की CBP अधिकारी भारतीय ग्रीन कार्ड धारकों पर अपने परमानेंट रेजीडेंसी को ‘स्वेच्छा’ से सरेंडर करने के लिए फॉर्म I-407 पर साइन करने का दबाव बना रहे हैं। इस पर कुछ बुजुर्ग भारतीयों ने विरोध जताया, जिसके बाद उन्हें ‘हिरासत’ में लेने या ‘निकालने’ की धमकियां दी गई।
बता दें की यह सब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के इमीग्रेशन आदेशों के तहत हो रहा है, जिसकी घोषणा उन्होंने व्हाइट हाउस में लौटने के बाद की थी।
ग्रीन कार्ड से स्थायी निवास का अधिकार नहीं
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, जिनकी पत्नी भारतीय-अमेरिकी हैं, ने स्पष्ट किया कि ग्रीन कार्ड का होना यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में अनिश्चितकालीन निवास का अधिकार नहीं देता है। मीडिया से बातचीत करते हुए वेंस ने कहा, “ग्रीन कार्ड धारक, भले ही मुझे वह व्यक्ति पसंद हो, लेकिन उसके पास संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने का अनिश्चितकालीन अधिकार नहीं है।”
अमेरिका में ग्रीन कार्ड को आधिकारिक तौर पर स्थायी निवासी कार्ड के रूप में जाना जाता है। यह एक महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट है, जो किसी व्यक्ति को संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थायी रूप से निवास और कार्य करने की अनुमति प्रदान करता है।
‘स्वेच्छा से’ ग्रीन कार्ड सरेंडर करने का दबाव
फ्लोरिडा स्थित इमिग्रेशन अटॉर्नी, अश्विन शर्मा ने पुष्टि करते हुए बताया कि उन्होंने कई ऐसे मामले संभाले हैं, जहां बुजुर्ग भारतीय ग्रीन कार्ड धारकों को निकालने की धमकियां दी गई है। उन्होंने आगे कहा, “हाल ही में मैंने व्यक्तिगत रूप से ऐसे मामलों पर काम किया, जहां CBP ने विशेष रूप से बुजुर्ग दादा-दादी को निशाना बनाया जा रहा है, जिन्होंने अमेरिका से बाहर कुछ समय बिताया है। इतना ही नहीं उन्हें फॉर्म I-407 पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया, ताकि वे अपनी इच्छा से अपना वैध स्थायी निवासी दर्जा (ग्रीन कार्ड) सरेंडर कर दें।”
अश्विन ने कहा, “जैसे ही उन्होंने अपना विरोध जताने या पीछे हटने की कोशिश की, CBP अधिकारियों ने उन्हें अरेस्ट करने या निकालने की धमकियां दीं। यह सब ट्रम्प की इमीग्रेशन पॉलिसी का नतीजा है, जो अधिकारियों को जज और जल्लाद की तरह व्यवहार करने का साहस देती है।”
ग्रीन कार्ड सरेंडर करने की जरूरत नहीं
इस पुरे मामले पर अपनी राय रखते हुए सिएटल बेस्ड इमिग्रेशन वकील कृपा उपाध्याय ने बताया की ग्रीन कार्ड को तब तक रद्द नहीं किया जा सकता जब तक कि धारक ‘स्वेच्छा से’ इसे सरेंडर न कर दे। उन्होंने भारतीयों से आग्रह किया की वे किसी भी दबाव के चलते में फॉर्म I-407 पर हस्ताक्षर न करें।
कृपा ने समझाया, “यदि कोई ग्रीन कार्ड धारक 365 दिनों से अधिक समय तक अमेरिका से बाहर रहता है, तो उसे निवास सरेंडर करने वाला माना जाता है। हालांकि, इस आरोप को अदालत में चुनौती देने का अधिकार ग्रीन कार्ड धारक को होता है, लेकिन यदि वह हवाई अड्डे पर ‘स्वेच्छा से’ अपना ग्रीन कार्ड सरेंडर करता है, तो वह यह अधिकार खो देता है।”
180 दिनों से अधिक समय तक विदेश में रहने वाले ग्रीन कार्ड धारकों को ‘पुनः प्रवेश’ के लिए आवेदन करने वाला माना गया है, और INA के तहत अमेरिका लौटने पर उन्हें प्रवेश से वंचित किया जा सकता है। आमतौर पर यह जोखिम उन पर लागू होता है जो एक साल से अधिक समय तक बाहर रहते हैं। हालांकि, अब भारत में सर्दियों के दौरान कम समय के लिए रहने वालों की गहन जांच की जा रही है।
____________________________________________________________
SUMMARY
अमेरिका में भारतीय ग्रीन कार्ड होल्डर्स, विशेष रूप से बुजुर्ग नागरिकों को एयरपोर्ट पर अपनी स्थायी निवास स्थिति ‘स्वेच्छा’ से सरेंडर करने के लिए मजबूर कर रहे है। रिपोर्ट्स के अनुसार, CBP अधिकारी उन्हें फॉर्म I-407 पर साइन करने का दबाव बना रहे हैं। यह सब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के इमीग्रेशन आदेशों के तहत किया जा रहा है। इमीग्रेशन वकील कृपा उपाध्याय ने सलाह दी है कि वे किसी भी दबाव में आकर यह फॉर्म साइन न करें।
