विस्कॉन्सिन-मैडिसन यूनिवर्सिटी (University of Wisconsin–Madison) में कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्र कृष लाल इस्सरदासानी को मई की शुरुआत में अपनी डिग्री पूरी करनी थी। हालांकि ग्रेजुएशन से ठीक पहले, 4 अप्रैल के दिन उनका F-1 वीज़ा अचानक कैंसिल कर दिया गया। इतना ही नहीं, इस मामले में उन्हें कोई पूर्व नोटिस दिया गया और सरकार ने उनका रिकॉर्ड स्टूडेंट एंड विज़िटर एक्सचेंज प्रोग्राम (SEVIS) से भी हटा दिया, जिससे डेपोर्टेशन खतरा बढ़ गया है।

कानूनी सहायता से कुछ समय के लिए राहत
इस मामले में इस्सरदासानी कानूनी प्रक्रिया सहारा लिया और अटॉर्नी शबनम लोटफी की मदद से US डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में एक अस्थायी प्रतिबंध आदेश (Temporary Restraining Order) की अर्जी दाखिल की गई। याचिका में तर्क दिया गया कि छात्र को उचित लीगल प्रोसेस से वंचित किया गया है। इस पर सुनवाई करते हुए 15 अप्रैल को US डिस्ट्रिक्ट जज विलियम कॉनली ने होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट को इस्सरदासानी का वीज़ा रद्द करने या उसे हिरासत में न लेने का आदेश दिया।
इस मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को तय की गई है, जिसमें प्रिलिमिनरी इंजक्शन (preliminary injunction) पर चर्चा की जाएगी।
कोई भी क्रिमिनल चार्ज नहीं दर्ज हुआ
बता दें की नवंबर 2024 में इस्सरदासानी का वीज़ा रद्द होने से पहले इस्सरदासानी एक कानूनी विवाद में फंस गए थे। दरअसल उन्हें बार के बाहर झगड़े के कारण सस्पेक्ट मानकर गिरफ्तार किया गया। हालांकि, लोकल डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी ने इस मामले में किसी भी तरह के क्रिमिनल चार्ज नहीं लगाए, इस वजह से उन्हें कोर्ट में पेश नहीं किया गया। इस पर जज ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस्सरदासानी को किसी भी अपराध का दोषी नहीं ठहराया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए बढ़ रही चुनौतियां
कोर्ट ने इस्सरदासानी की वीज़ा कैंसल करने की चुनौती को लेकर कहा की इस मामले में “सफलता की उचित संभावना” है। अटॉर्नी शबनम लोटफी ने इस बात पर जोर दिया कि यह मामला उन अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए एक अहम उदाहरण बन सकता है, जिनके SEVIS रिकॉर्ड बिना किसी कानूनी स्पष्टीकरण के अचानक कैंसिल कर दिया गया। रिपोर्ट के अनुसार, पूरे अमेरिका में करीब 1,300 छात्रों को इसी प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ा है, ऐसे में यह मुद्दा और भी गंभीर बनता जा रहा हैं।
अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए कानूनी राहत की उम्मीद
अटॉर्नी लोटफी की लीगल टीम ने अदालत के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि सरकार इन स्टूडेंट्स के खिलाफ कोई ठोस कानूनी आधार पेश करने में विफल रही। इस फैसले ने कई अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को उम्मीद दी है, जो वीज़ा संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे हैं। कृष लाल इस्सरदासानी का मामला वीज़ा प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता को सामने लाता है।
ऐसे में यह सुनवाई न केवल इस्सरदासानी के करियर और आने वाला भविष्य तय करेगी, बल्कि पूरे देश में वीज़ा संबंधी मामलों के निपटारे के तरीके पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।
