भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने हाल ही में HIRE एक्ट को लेकर चेतावनी दी है। बता दें कि यह एक अमेरिकी कानून है, जिसका उद्देश्य आउटसोर्सिंग और ऑफशोरिंग को रोकना है। राजन ने कहा कि इस कानून का बहुत गहरा प्रभाव हो सकता है। डेकोडर को दिए एक इंटरव्यू में राजन ने बताया कि इसका असर हाल ही में H-1B वीजा पर लगाए गए $100,000 की वीजा फाइलिंग फीस से भी ज्यादा हो सकता है।

क्या है HIRE Act का उद्देश्य?
HIRE एक्ट, US के सीनेटर बर्नी मोरेनो ने पेश किया है। यह एक्ट अमेरिकी कंपनियों को सस्ते विदेशी लेबर को काम पर रखने से रोकता है। एक्ट के अनुसार, अगर काम अमेरिकी कस्टमर के लिए फायदेमंद हो, तो इन विदेशी कंपनियों पर 25% टैक्स लगाया जाएगा।
इतना ही नहीं, यह US बेस्ड कंपनियों को इन पेमेंट्स पर टैक्स डिडक्शन करने से भी रोकता है। जिससे ऑफशोरिंग की कॉस्ट भी बढ़ जाएगी।
कैसे काम करता है HIRE Act?
HIRE अधिनियम के तहत, ‘आउटसोर्सिंग पेमेंट’ को अमेरिकी कंपनियों द्वारा फॉरेन एंटिटी को किए गए पेमेंट के रूप में बताया गया है। यह पेमेंट अमेरिकी क्लाइंट के लिए काम करने के बदले दिया जाता है। इसमें फीस, प्रीमियम, सर्विस फीस और रॉयल्टी शामिल हैं।
ऐसे में अगर कोई अमेरिकी कंपनी भारतीय आईटी फर्म या कॉल सेंटर को काम देती है, तो उसे उस पेमेंट पर 25% टैक्स चुकाना होगा।
इस बीच राजन ने चेतावनी दी कि इससे ट्रम्प के समय के टैरिफ अब प्रोडक्ट से शिफ्ट होकर से सर्विस तक लागू हो सकते हैं। यह भारत के आईटी सेक्टर के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
भारत के IT और BPO इंडस्ट्री पर असर
अगर HIRE अधिनियम पास हो जाता है, तो यह ग्लोबल आउटसोर्सिंग मॉडल को बदल सकता है। भारत के IT सेक्टर, जिसमें दिगज्ज कंपनी जैसे TCS, इंफोसिस और विप्रो शामिल हैं। कुल मिलाकर यह कंपनियां 250 अरब डॉलर से अधिक है।
इसके अलावा, अमेरिकी कंपनियों की कंसल्टेशन फर्म, बैक-ऑफिस ऑपरेशन्स और BPO सेक्टर भी प्रभावित हो सकते हैं। देखा जाए तो, इस नियम के चलते आउटसोर्सिंग अब अमेरिकी कंपनियों के लिए महंगी हो सकती है।
अमेरिकी कंपनियों पर HIRE Act का प्रभाव
राजन ने कहा कि H-1B वीजा शुल्क से कर्मचारियों को नुकसान होता है। वहीं, HIRE अधिनियम आउटसोर्सिंग इंडस्ट्री को प्रभावित कर सकता है। इससे अमेरिकी कंपनियां लोकल टैलेंट्स को नौकरी देने पर ध्यान दे सकती हैं। या फिर वे ऑटोमेशन में ज्यादा इन्वेस्ट कर सकती हैं।
अगर यह कानून लागू हुआ, तो यह 31 दिसंबर 2025 के बाद किए गए सभी पेमेंट पर असर डालेगा। इसका मतलब है कि अमेरिकी कंपनियों का वैश्विक कर्मचारियों को रखने का तरीका बदल सकता है।
राजन की भारत के लिए चेतावनी
राजन ने कहा कि भारत को इस बदलाव पर ध्यान देना चाहिए। HIRE एक्ट ‘ग्लोबल आउटसोर्सिंग’ की इकोसिस्टम को नया रूप दे सकता है। उन्होंने पॉलिसी मेकर्स से कहा कि वे डिजिटल क्षेत्र में निवेश बढ़ाएं। साथ ही, US मार्केट से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए घरेलू रोजगार के अवसर बढ़ाएं।
अगर यह बिल पास होता है, तो भारत का तकनीकी सेक्टर प्रभावित होगा। इसे पहले दुनिया के प्रमुख आउटसोर्सिंग हब के तौर पर जाना जाता था। ऐसे में IT सेक्टर को अपनी ग्लोबल स्ट्रेटेजी में बदलाव करने की जरूरत पड़ सकती है। अब उन्हें अमेरिकी नियमों के हिसाब से खुद को ढालना होगा।
Summary-
रघुराम राजन ने HIRE एक्ट को लेकर गंभीर चिंता जताई है। यह एक्ट अमेरिकी कंपनियों को चीप विदेशी लेबर को काम पर रखने से रोकता है। इसके तहत विदेशी कंपनियों पर 25% टैक्स लगाया जाएगा। अमेरिकी कंपनियां इन पेमेंट्स पर टैक्स डिडक्शन नहीं कर पाएंगी। राजन ने चेतावनी दी कि इससे भारत के आईटी और BPO सेक्टर को बड़ा नुकसान हो सकता है। इस नए कानून के कंपनियों को अपनी हायरिंग स्ट्रेटेजी बदलनी पड़ सकती है।
