RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने एक बार फिर यूपीआई को लेकर अहम बात कही है। उन्होंने कहा कि भले ही UPI आम लोगों के लिए मुफ्त है, लेकिन इसे संचालित करने में काफी खर्च आता है। दरअसल यह बात उन्होंने मोनेटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताई। गवर्नर ने साफ किया कि इसका मतलब यह नहीं है कि UPI कभी फ्री नहीं रहेगा। उन्होंने बताया कि यह सर्विस दिखने में मुफ्त है, लेकिन इसके पीछे तकनीकी और ऑपरेशनल कॉस्ट जुड़ी हुई है।

बता दें कि फिलहाल UPI की लागत पर सरकार सब्सिडी दे रही है। हालांकि गवर्नर ने यह भी कहा कि जीरो-कॉस्ट वाला यह मॉडल कब तक टिकेगा, यह एक बड़ा सवाल है।
ICICI के UPI चार्ज से फ्री मॉडल पर उठे सवाल
हाल ही में बैंक ने UPI लेनदेन पर प्रोसेसिंग शुल्क लागू कर दिया है। इसके साथ ही जीरो-कॉस्ट मॉडल पर नई बहस छिड़ गई है। यह शुल्क 1 अगस्त से लागू हुआ है। बैंक अब पेमेंट एग्रीगेटर्स से प्रोसेसिंग फीस वसूल रहा है। बैंक बन गया है जिसने यह शुल्क लागू किया है। बता दें कि UPI को 2016 में NPCI ने लॉन्च किया था। यह रिटेल डिजिटल भुगतान का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म बन चुका है। आज UPI का बाजार में लगभग 80% हिस्सा है। हर महीने करीब 30 करोड़ ट्रांजेक्शन होते हैं। वही जुलाई में यह आंकड़ा 31 करोड़ पहुंच गया।
1 अगस्त से ICICI बैंक ने भुगतान एग्रीगेटर्स से प्रोसेसिंग शुल्क लेना शुरू किया। यह कदम UPI के फ्री मॉडल पर सवाल खड़े करता है। ICICI ऐसा करने वाला पहला बैंक बन गया है। इस फैसले से फ्री UPI मॉडल पर कई सवाल उठा दिए है।
ICICI बैंक ने शुरू की UPI लेनदेन पर फीस
ICICI बैंक अब कुछ पेमेंट कंपनियों से UPI लेनदेन पर फीस वसूल रहा है। नए नियमों के मुताबिक, जिन कंपनियों का Escrow अकाउंट है, उन्हें अब हर ₹100 के लेनदेन पर 2 पैसे का शुल्क देना होगा।
वहीं जिन कंपनियों के पास Escrow अकाउंट नहीं है, उनसे ₹10 प्रति लेनदेन लिया जाएगा। हालांकि, ICICI के मर्चेंट अकाउंट से सीधे होने वाले लेनदेन को शुल्क से छूट दी गई है।
UPI मॉडल की स्थिरता पर क्या बोले RBI गवर्नर?
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने UPI के भविष्य को लेकर अहम बात कही है। उन्होंने कहा कि इस मॉडल की लॉन्ग टर्म सस्टेनेबिलिटी सुनिश्चित करने में सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। मल्होत्रा ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सबसे ज़रूरी है खर्चों का भुगतान होना। ये तय करना जरूरी है कि खर्च कौन उठाएगा सरकार, कंपनियां या यूजर्स। उन्होंने माना कि सरकारी सब्सिडी की वजह से UPI की मुफ्त सुविधा लोगों तक पहुंची। ऐसे में डिजिटल लेनदेन में वृद्धि आई है।
उनके मुताबिक, जून 2025 में UPI ट्रांजेक्शन की संख्या 18.4 अरब तक पहुंच गई है। यह साल-दर-साल करीब 32% की बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा मॉडल से कई फायदे हुए हैं। लेकिन आगे चलकर सरकार को ही तय करना होगा कि इस सिस्टम को कैसे फाइनेंस किया जाए।
Summary:
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि UPI आम लोगों के लिए मुफ्त है, लेकिन इसके संचालन में लागत लगती है। फिलहाल सरकार UPI पर सब्सिडी दे रही है। लेकिन यह मुफ्त मॉडल कब तक चलेगा, यह सवाल है। ICICI बैंक ने पहली बार पेमेंट एग्रीगेटर्स से शुल्क लेना शुरू किया है। इससे UPI के मुफ्त मॉडल पर बहस शुरू हो गई है। जून 2025 तक UPI लेनदेन 18.4 अरब हो गए हैं।
