दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियों में शामिल Oracle ने भारत में ले ऑफ का ऐलान किया है। इस फैसले से हजारों कर्मचारी प्रभावित हुए है। कंपनी ने अपने करीब 10% भारतीय कर्मचारियों की छंटनी कर दी है। इसका असर बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, पुणे, नोएडा और कोलकाता जैसे शहरों में देखने को मिला है।
बता दें कि सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, क्लाउड सर्विसेज और कस्टमर सपोर्ट टीम पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है। कई कर्मचारियों को बिना किसी नोटिस के अचानक बाहर कर दिया गया। इस बीच कई लोग जॉब पैकेज और करियर ट्रांजिशन रिपोर्ट को लेकर काफी कंफ्यूज हैं।

Oracle के फैसले पर उठ रहे हैं सवाल
ओरेकल की छंटनी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल छंटनी की घोषणा से कुछ ही दिन पहले, Oracle के CEO लैरी एलिसन ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से ओवल ऑफिस में मुलाकात की थी। बताया जा रहा है कि बातचीत में डोमेस्टिक रिक्रूटर्स, डेटा सिक्योरिटी और ऑफशोरिंग कम करने जैसे मुद्दे पर चर्चा की गई।
इसके तुरंत बाद ओरेकल ने OpenAI के साथ एक डील साइन कि है। फिलहाल कंपनी का फोकस AI पॉवर्ड प्रोजेक्ट में इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने पर है।
भारत ही नहीं, दुनियाभर में दिखा असर
भारत ही नहीं, दुनिया भर में इस ले ऑफ का असर देखने को मिल रहा है। अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको से भी छंटनी की खबरें सामने आई हैं। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, सिर्फ सिएटल में 150 से ज़्यादा कर्मचारियों की नौकरियां गई है। वही मेक्सिको में भी भारत जितने बड़े लेवल पर एम्प्लॉयीज को नौकरी से निकालने कीआशंका जताई जा रही है। ऐसे में यह फैसला सिर्फ किसी एक देश तक सीमित नहीं है। बल्कि यह ओरेकल की एक ग्लोबल री-स्ट्रक्चरिंग स्ट्रेटेजी का हिस्सा है।
AI इन्वेस्टमेंट के चलते कंपनियों में तेज़ी से हो रहा बदलाव
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह ले ऑफ सीधे ओरेकल की AI स्ट्रेटेजी से संबंधित है। फिलहाल कंपनी OpenAI और सॉफ्टबैंक के साथ मिलकर एक Stargate Project पर काम कर रही है। इसकी अनुमानित लागत 500 अरब डॉलर बताई जा रही है। इस प्रोजेक्ट के लिए अमेरिका में 4.5 गीगावाट क्षमता वाला डेटा सेंटर इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है।
ऐसे में ओरेकल अब उन टीमों में कटौती कर रहा है, जो AI से कनेक्टेड नहीं हैं। हालांकि यह ट्रेंड इंडस्ट्री में नया नहीं है। माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़न और मेटा पहले ही इस तरह नौकरी में कटौती कर चुके हैं।
बताते चलें कि Oracle के लिए भारत पिछले 20 सालों से एक महत्वपूर्ण सेंटर रहा है। कंपनी ने यहां टियर-2 और टियर-3 शहरों तक भी अपने ऑपरेशंस का विस्तार किया था। लेकिन इस ले ऑफ ने भारतीय कर्मचारियों के मनोबल पर गहरा प्रभाव डाला है। ऐसे में अब सवाल उठता हैं कि क्या भारत अब भी Oracle की लॉन्ग टर्म प्रोजेक्ट्स में अहम भूमिका निभा सकेगा या नहीं।
Summary:
Oracle ने हाल ही में भारत में बड़ा ले ऑफ़ किया है। इसके तहत 10% कर्मचारियों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ सकती है। इस फैसले का असर बेंगलुरु, हैदराबाद जैसे शहरों में देखने को मिला है। कंपनी का ध्यान अब AI प्रोजेक्ट्स पर है, जिसके चलते नॉन-AI टीमों में कटौती की जा रही है। यह ले ऑफ़ सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको जैसे देशों में भी हुआ है।
