2025 में EV (इलेक्ट्रिक व्हीकल) का चलन तेजी से बढ़ा है। हालांकि अभी भी यह कई लोगों के लिए एक नई तकनीक है। ऐसे में ग्राहकों के मन में कई तरह की चिंताएं होना स्वाभाविक है। खासकर बैटरी पैक को लेकर, जिसे वारंटी खत्म होने पर बदलवाना काफी महंगा पड़ सकता है। हाल ही में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। एक टाटा टिगोर EV मालिक ने ₹6 लाख की नई बैटरी लेने के बजाय, सिर्फ़ ₹55,000 में पुरानी बैटरी की मरम्मत करवा ली।

₹6 लाख की मांग, Yanti Startup ने ₹55,000 में रिपेयर किया
बता दें कि यह दिलचस्प मामला लिंक्डइन पर Yanti के को फाउंडर रोमेश गुप्ता ने शेयर किया। यंती एक स्टार्टअप है जो AI बेस्ड ईवी बैटरी इंटेलिजेंस और रिवाइवल में माहिर है। एक ग्राहक अपने टाटा टिगोर ईवी के साथ यंती के पास पहुंचे। गाड़ी का इंस्पेक्शन करने पर, यंती टीम ने पाया कि चार्जिंग पोर्ट शून्य वोल्ट दिखा रहा था, जो बैटरी के खराब होने का संकेत था।
हालांकि शुरुआत में, टाटा मोटर्स ने बैटरी बदलने का खर्च ₹6 लाख बताया।
कैसे किया ₹55,000 में बैटरी रिपेयर?
शुरुआत में सुरक्षा के लिहाज से, टीम ने बैटरी को अलग किया। टेस्टिंग में पाया गया कि बैटरी के अंदर अभी भी वोल्टेज थी। जिससे उसे ठीक होने की उम्मीद बढ़ गई। टीम ने देखा कि बैटरी के सेल्स में असंतुलन था, जो बैटरी की खराबी का मुख्य कारण था। फिर, उन्होंने धीरे-धीरे बैटरी को चार्ज करना शुरू किया। 21 सेल्स में वोल्टेज को 76.65V तक बढ़ाया गया। चार्ज करते वक्त कोई असामान्य गर्मी या कोई अन्य समस्या नहीं हुई।
टीम ने बैटरी के सेल ग्रुप के बीच वोल्टेज असंतुलन को ठीक करने के लिए 15A एक्टिव बैलेंसर का इस्तेमाल किया। उन्होंने बैटरी के सेल वोल्टेज को सही लेवल पर लाया। फिर, बैटरी को आराम देने के लिए छोड़ दिया गया। कुछ समय बाद, टीम नेवोल्टेज में बदलाव देखा।
अगले दिन टीम ने बैटरी की क्षमता की जांच की। उन्होंने देखा कि बैटरी की 84% कैपेसिटी वापस पा चुकी है। इसके बाद, बैटरी को व्हीकल के BMS से जोड़कर रियल सिचुएशन में टेस्ट किया गया। बैटरी ने सभी जरूरी स्टैण्डर्ड को पूरा किया। जिसके बाद बैटरी को इस्तेमाल के लिए अनुकूल माना गया।
बैटरी रिपेयर की कॉस्ट ₹55,000 आई, जो बैटरी रिप्लेस करने की तुलना में काफी कम थी। यह मामला दिखाता है कि वारंटी खत्म होने के बाद भी EV बैटरियों की मरम्मत एक बजट फ्रेंडली ऑप्शन हो सकता है।
इलेक्ट्रिक वाहनों की रिपेयर में थर्ड-पार्टी स्टार्टअप का रिस्क
देखा जाए तो इलेक्ट्रिक वाहनों की मरम्मत के लिए यंती जैसे थर्ड-पार्टी स्टार्टअप को चुनने को लेकर कई चिंताएं हैं। यदि रिपेरिंग के बाद बैटरी खराब हो जाती है या आग लग जाती है, तो इस स्थिति में जिम्मेदारी कौन लेगा? इस तरह के मामलों में व्हीकल मैनुफक्चरर, कस्टमर पर अनऑथोरीज़ेड सर्विस का आरोप लगा सकते हैं। यहां तक की अपनी जिम्मेदारी से भी पीछे हट सकते है।
ऐसे में विशेषज्ञों की सलाह है कि वारंटी वाले इलेक्ट्रिक वाहनों को थर्ड-पार्टी वर्कशॉप में न भेजें। ऐसा करने से बैटरी की वारंटी कैंसिल हो सकती है। कई व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी अब अपनी बैटरियों पर लाइफटाइम वारंटी देने लगे हैं। इससे ग्राहकों को अतिरिक्त सुरक्षा और भरोसा मिलता है।
Summary:
2025 में इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन तेजी से बढ़ा है, लेकिन बैटरी की मरम्मत को लेकर ग्राहक चिंतित हैं। एक Tata Tigor EV मालिक ने ₹6 लाख की नई बैटरी लेने की बजाय ₹55,000 में बैटरी मरम्मत करवाई। हालांकि, थर्ड-पार्टी रिपेयर के मामले में जिम्मेदारी को लेकर सवाल उठते हैं। इसलिए एक्सपर्ट्स वारंटी वाले वाहनों को थर्ड-पार्टी वर्कशॉप में न भेजने की सलाह देते हैं।
