तमिलनाडु बना देश का इंडस्ट्रियल जॉब हब, एनुअल सर्वे ऑफ़ इंडिया 2022-23 की रिपोर्ट में हुआ खुलासा!


Bhawna Mishra

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Oct 14, 2024


हाल ही जारी हुए आंकड़ों से पता चलता है कि तमिलनाडु इंडस्ट्रियल जॉब क्रिएशन में लीडिंग डेस्टिनेशन बनकर उभरा है। दरअसल केंद्र सरकार द्वारा 30 सितंबर को जारी वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण (ASI) 2022-23 के अनुसार, भारत में सृजित सभी औद्योगिक नौकरियों में से 15 फीसदी  तमिलनाडु में है, जो इसे भारत का शीर्ष राज्य बनाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तमिलनाडु Industrial Policy 2021 और अन्य उद्योग प्रोत्साहन कार्यक्रमों ने देश को उद्योगों के लिए आकर्षित किया है। मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि राज्य में किए गए सभी निवेशों का उद्देश्य युवाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण रोजगार के अवसर पैदा करना है। 

तमिलनाडु बना देश का इंडस्ट्रियल जॉब हब, एनुअल सर्वे ऑफ़ इंडिया 2022-23 की रिपोर्ट में हुआ खुलासा!

अन्य राज्यों की तुलना में तमिलनाडु 

बताते चलें की इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सबसे अधिक कारखाने तमिलनाडु (कुल का 15.56 प्रतिशत) में हैं, इसके बाद दूसरे स्थान पर गुजरात (12.25 प्रतिशत) है। इसके साथ ही भारत की कुल फ़ैक्टरियों में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश की हिस्सेदारी क्रमशः 10.44 प्रतिशत, 7.54 प्रतिशत और 6.51 प्रतिशत है।  जहां तमिलनाडु भारत के कुल इंडस्ट्रियल वर्कफोर्स का 15 प्रतिशत रोजगार देता है, वहीं महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 12.84 प्रतिशत है।

गुजरात में भारत के कुल इंडस्ट्रियल वर्कफोर्स का 12.62 प्रतिशत हिस्सा है, उसके बाद उत्तर प्रदेश (8.04%) और कर्नाटक (6.58%) का स्थान आता है। इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के मामले में, तमिलनाडु देश के कुल 9.97 प्रतिशत का योगदान देकर तीसरे स्थान पर है, जबकि यह गुजरात और महाराष्ट्र से पीछे है। यह वो स्थान हैं जहां अधिक कुशल और उच्च-उत्पादन वाली फैक्ट्रियाँ  मौजूद हैं। 

औद्योगिक रोजगार पर तमिलनाडु को मिली मिश्रित प्रतिक्रियाएं

तमिलनाडु के इंडस्ट्री मिनिस्टर TRB राजा ने कहा कि यह रिपोर्ट DMK सरकार के रोजगार सृजन और समावेशी विकास पर निरंतर ध्यान केंद्रित करने का प्रमाण है। वहीं, डी. मुथुकृष्णन ने भी केंद्र सरकार के वार्षिक औद्योगिक सर्वेक्षण का हवाला दिया और कहा कि तमिलनाडु भारत का विनिर्माण केंद्र है और भारत के औद्योगिक रोजगार का 15% हिस्सा है। 

हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक और अर्थशास्त्री भास्करन कृष्णमूर्ति ने इस रिपोर्ट पर चिंता व्यक्त की हैं। उनके अनुसार, उन्होंने कहा की भले ही टेम्पररी नौकरियों की संख्या सकारात्मक हो,  लेकिन इन्हे परमानेंट पदों की तुलना में कम वेतन मिलता हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि अस्थायी गेस्ट लेक्चरर को ₹20,000 प्रति माह मिलते हैं, जबकि एक नियमित प्रोफेसर का वेतन लगभग 1,00,000 रुपये है। कृष्णमूर्ति ने कहा कि न केवल नौकरियों की संख्या बल्कि उनकी गुणवत्ता, वेतन स्तर और रोजगार की स्थिति को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि कई कर्मचारी मौजूदा स्थिति से निराश हैं।

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                                            SUMMARY

तमिलनाडु औद्योगिक रोजगार सृजन में प्रमुख राज्य बनकर उभरा है, जहां देश की कुल औद्योगिक नौकरियों का 15% हिस्सा है। हालिया उद्योग सर्वेक्षण में बताया गया कि राज्य की औद्योगिक नीतियों ने निवेश आकर्षित किए हैं। हालांकि, विशेषज्ञ भास्करन कृष्णमूर्ति ने चिंता जताई है कि अधिकांश नौकरियां अस्थायी हैं और उनका वेतन स्थायी पदों की तुलना में कम है, जिससे कई कर्मचारी निराश हैं।


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She is a seasoned writer with a passion for Storytelling and a keen interest in diverse topics. With 2.5 years of experience, she excels in writing about Tech, Sports, Entertainment, and various Niche topics. Bhawna holds a Postgraduate Degree in Journalism and Mass Communication from St Wilfred’s College of Jaipur.

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