भारत ने हाल ही में स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। बेंगलुरु के जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (JNCASR) के वैज्ञानिकों ने एक नई बैटरी तैयार की है। यह बैटरी सोडियम-आयन तकनीक पर आधारित है। खास बात यह है कि यह बहुत तेजी से चार्ज होती है। इसका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, ग्रिड स्टोरेज, ड्रोन और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन में किया जा सकता है।

तकनीकी इनोवेशन से सुपरफास्ट चार्जिंग
बता दें की यह नई बैटरी प्रोफेसर प्रेमकुमार सेनगुट्टुवन और पीएचडी छात्र बिप्लब पात्रा की देखरेख में बनाई गई है। इस बैटरी में खास तरह की NASICON संरचना का उपयोग किया गया है। वही इसके इंजीनियर एनोड को खास तरीके से डिजाइन किया गया है। इसका केमिकल फार्मूला इस प्रकार है:
Na₁.₀V₀.₂₅Al₀.₂₅Nb₁.₅(PO₄)₃
इस बैटरी में कई तकनीकी इनोवेशन किए गए हैं। सबसे पहले, पार्टिकल को नैनो साइज में तैयार किया गया है। दूसरा, कंडक्टिविटी बढ़ाने के लिए कार्बन कोटिंग की गई है। तीसरा, एल्यूमीनियम के प्रयोग से बैटरी की स्टेबिलिटी बेहतर हुई है। इस तकनीक की मदद से बैटरी केवल छह मिनट में 80% तक चार्ज हो जाती है। इसे 3,000 से ज्यादा बार चार्ज और डिस्चार्ज किया जा सकता है। तब भी यह 80% क्षमता के साथ काम कर सकती है।
भारत के लिए यह क्यों है इतना महत्वपूर्ण?
देखा जाए तो भारत अभी बैटरी बनाने के लिए लिथियम इम्पोर्ट पर निर्भर है। इससे सप्लाई में रुकावट और जियोपॉलिटिकल जोखिम बढ़ जाते हैं। वहीं, सोडियम भारत में भरपूर मात्रा में मिलता है। इस वजह से यह खोज ‘आत्मनिर्भर भारत’ (Atmanirbhar Bharat) के नजरिए से बहुत अहम है।
माना जा रहा है की सोडियम-आधारित यह नई बैटरी तकनीक कई मामलों में बेहतर है। यह लिथियम, आयन बैटरी की तुलना में सस्ती, सुरक्षित और आसानी से तैयार की जा सकती है। यह तकनीक खास तौर पर इन क्षेत्रों के लिए उपयोगी हो सकती है-
- इलेक्ट्रिक वाहन और टू-व्हीलर
- सोलर ग्रिड में एनर्जी स्टोरेज
- इमरजेंसी बैकअप सिस्टम
- गांवों की स्वच्छ ऊर्जा योजनाएं
- ज्यादा गर्मी वाले इलाकों में थर्मल स्टेबिलिटी के कारण
सोडियम-आधारित बैटरी ने पास किए सख्त टेस्ट
यह बैटरी अब सख्त टेस्टिंग और बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए तैयार है। प्रोटोटाइप का पहले ही टेस्टिंग ट्रायल पूरा हो चुका है। इसमें मुख्य रूप से इलेक्ट्रोकेमिकल टेस्टिंग और क्वांटम स्तर के सिमुलेशन शामिल हैं। टेस्ट के नतीजे बताते हैं कि यह बैटरी सुरक्षित है। यह न केवल बढ़िया काम करती है बल्कि लंबे समय तक चल सकती है।
भले ही इस तकनीक को बाजार में आने में कुछ समय लगे, लेकिन इसकी चर्चा अभी से शुरू हो गई है। साइंटिस्ट और पॉलिसी मेकर्स की नजरें इस पर टिकी हैं। दुनियाभर में लिथियम की सप्लाई को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। इस क्षेत्र में चीन, चिली और ऑस्ट्रेलिया की पकड़ काफी मजबूत है।
ऐसे में भारत की सोडियम-आधारित बैटरी तकनीक एक भरोसेमंद विकल्प के रूप में सामने आई है। यह न केवल सस्ती है, बल्कि घरेलू संसाधनों पर भी आधारित है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह तकनीक भारत को बैटरी इनोवेशन में वैश्विक स्तर पर पहचान दिला सकती है।
Summary
भारत ने स्वदेशी सोडियम-आयन बैटरी विकसित की है। इसमें सिर्फ छह मिनट में 80% तक चार्ज होने की क्षमता है। यह तेज और किफायती बैटरी 3,000 से ज्यादा चार्जिंग साइकिल तक चल सकती है। यह तकनीक लिथियम की निर्भरता कम करेगी। साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों, ग्रिड स्टोरेज और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन के लिए बेहतरीन विक्लप साबित होगी। यह तकनीक आत्मनिर्भर भारत के लिए अहम मानी जा रही है।
