हाल ही में बैंक रिक्रूटमेंट से जुड़ी एक अनोखी खबर सामने आयी है। दरअसल स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने सर्कल बेस्ड ऑफिसर (CBO) पद के लिए चुने गए एक उम्मीदवार की नियुक्ति रद्द कर दी है। CIBIL रिपोर्ट में लोन और क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट का रिकॉर्ड सामने आने के बाद यह फैसला लिया गया। मद्रास हाईकोर्ट ने भी बैंक के इस कदम को सही ठहराया है। यह मामला बताता है कि बैंकिंग क्षेत्र में मेरिट के साथ-साथ अच्छा फाइनेंशियल रिकॉर्ड भी ज़रूरी है।

कोर्ट ने भी जताई सहमति
इस मामले में जस्टिस एन. माला ने उम्मीदवार की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि जो लोग जनता के पैसों से जुड़े काम करते हैं, उनका खुद का आर्थिक रिकॉर्ड मजबूत होना चाहिए। एसबीआई ने भी यही बात कही थी। बैंक का तर्क था कि अगर किसी ने पहले लोन या क्रेडिट कार्ड में पैसे नहीं चुकाए हैं, तो उसे जिम्मेदारी भरा काम नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने इस दलील को सही माना।
बैंक ने पहले ही स्पष्ट कर दिए थे नियम
एसबीआई ने अपने रिक्रूटमेंट नोटिस में सभी नियम स्पष्ट किए थे। अगर किसी उम्मीदवार की लोन चुकाने की हिस्ट्री खराब है, या उसकी CIBIL रिपोर्ट में कोई निगेटिव रिकॉर्ड है, तो वह इस पोस्ट के लिए एलीजीबल नहीं होगा। इसके बावजूद उम्मीदवार ने आवेदन किया। परीक्षा दी और चयन भी हो गया। लेकिन बाद में उसकी CIBIL रिपोर्ट सामने आई। उसमें डिफॉल्ट की जानकारी मिली। इसके बाद बैंक ने उसकी नियुक्ति रद्द कर दी।
CIBIL रिपोर्ट में सामने आया फाइनेंशियल रिकॉर्ड
2018 में उम्मीदवार ICICI बैंक में डिप्टी मैनेजर था। उसने ₹90,000 से ₹1.5 लाख तक के पर्सनल लोन लिए थे। लेकिन समय पर भुगतान नहीं किया। इतना ही नहीं, उसने क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि भी नहीं चुकाई। इस कारण 2019 में HDFC बैंक को ₹40,000 का नुकसान हुआ।
दोनों पक्षों की दलीलें
एसबीआई की लीगल टीम का कहना था कि उम्मीदवार ने भर्ती प्रक्रिया के दौरान अपने पुराने फाइनेंशियल डिफॉल्ट्स छिपाएं। वहीं उम्मीदवार के वकील ने कहा कि आवेदन करने से पहले उसने सभी बकाया चुका दिए थे। हालांकि अदालत ने यह दलील नहीं मानी। जज ने साफ किया कि चयन के लिए जरूरी था कि उम्मीदवार का क्रेडिट रिकॉर्ड पहले से क्लीन हो। सिर्फ आवेदन से पहले बकाया चुकाना ही काफी नहीं था।
सिर्फ मेरिट नहीं, ईमानदारी भी ज़रूरी: कोर्ट
इस पुरे मामले में अपनी राय रखते हुए जस्टिस माला ने कहा कि सरकारी नौकरियों में नियमों का सख्ती से पालन होना चाहिए। उन्होंने 2003 के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का भी ज़िक्र किया। कोर्ट ने साफ किया कि नियमों से कोई समझौता नहीं हो सकता। यह फैसला बताता है कि सरकारी पदों पर पारदर्शिता और आर्थिक ईमानदारी बेहद जरूरी है। खासतौर पर उन पदों पर, जहां आम जनता के पैसों से जुड़ा काम होता है।
Summary:-
एसबीआई ने एक उम्मीदवार की नियुक्ति सिर्फ इसलिए रद्द कर दी क्योंकि उसकी CIBIL रिपोर्ट में पुराने लोन और क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट का रिकॉर्ड था। मामला कोर्ट पहुंचा, लेकिन मद्रास हाईकोर्ट ने भी बैंक का फैसला सही माना। कोर्ट ने कहा कि सरकारी या बैंकिंग नौकरियों में सिर्फ योग्यता नहीं, बल्कि साफ-सुथरा फाइनेंशियल रिकॉर्ड और ईमानदारी भी जरूरी है।
