भारत बैंकिंग सेक्टर में महत्वपूर्ण बदलाव करने जा रहा है। सरकार अब सरकारी बैंकों में 49% तक विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment) की अनुमति देने पर विचार कर रही है। यह पहले की 20% लिमिट की तुलना में 29% अधिक है। दरअसल, पिछले कुछ महीनों से वित्त मंत्रालय लगातार इस पर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के साथ चर्चा कर रहा है। हालांकि यह प्लान अभी तक फाइनल नहीं हुआ है।

पब्लिक सेक्टर बैंकों में निवेश के नए अवसर
देश की बैंकिंग इंडस्ट्री में विदेशी निवेशकों की रुचि तेजी से बढ़ी है। दुबई की एमिरेट्स NBD ने RBL बैंक में करीब 3 अरब डॉलर में 60% स्टेक खरीदें। वहीं, सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्प ने यस बैंक (Yes Bank) में 1.6 अरब डॉलर में 20% हिस्सेदारी है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकारी बैंकों में इन्वेस्टमेंट लिमिट बढ़ने से उन्हें कैपिटल रेज करने में मदद मिलेगी।
इससे फॉरेन इन्वेस्टर्स का भरोसा भी बढ़ेगा। रॉयटर्स की रिपोर्ट के बाद निफ्टी PSU बैंक इंडेक्स में तेजी देखी गई। यह 3.02% बढ़कर 8053.4 पर पहुंचा और 2.22% की बढ़त के साथ बंद हुआ।
फॉरेन इन्वेस्टमेंट को लेकर जल्द जारी होगा प्रस्ताव
एक सोर्स ने बताया कि सरकारी बैंकों में विदेशी निवेश सीमा बढ़ाने पर विचार चल रहा है। इसका उद्देश्य सरकारी और प्राइवेट बैंकों के नियम को एक समान बनाना है। फिलहाल प्राइवेट बैंकों में 74% तक FDI की अनुमति है। ऐसे में सरकारी बैंकों के लिए 49% लिमिट इस अंतर को कम करेगी। यह पहली बार है जब सरकारी बैंकों में 49% विदेशी निवेश पर चर्चा हो रही है।
हालांकि मीडिया एजेंसी से बात करते हुए इन सोर्स ने अपने नाम छुपाने की रिक्वेस्ट की। दरअसल इस बारे में कोई ऑफिशियल इनफार्मेशन सामने नहीं आए हैं।
देश की इकोनॉमिक ग्रोथ ने बढ़ाई इन्वेस्टर्स की दिलचस्पी
भारत की मजबूत इकोनॉमिक ग्रोथ ने बैंकिंग सेक्टर को इन्वेस्टर्स के लिए आकर्षक बना दिया है। पिछले तीन सालों में देश की एवरेज ग्रोथ लगभग 8% रही। इस दौरान क्रेडिट डिमांड में भी वृद्धि देखी गई। जनवरी से सितंबर के बीच फाइनेंशियल सेक्टर में डील्स 127% बढ़कर 8 अरब डॉलर तक पहुंच गई हैं। बता दें कि भारत में कुल 12 सरकारी बैंक हैं।
स्टॉक एक्सचेंज के डेटा के अनुसार, 30 सितंबर तक सरकारी बैंकों में विदेशी हिस्सेदारी अलग-अलग है। केनरा बैंक में लगभग 12% है। वही यूको बैंक में लगभग शून्य है।
पब्लिक सेक्टर के बैंक अक्सर प्राइवेट बैंकों से कमजोर माने जाते हैं। ऐसे में RBI ने इन बैंकों से जुड़ें कई नियमों में सहूलियत दी हैं। अब विदेशी बैंक भारतीय प्राइवेट लेंडर्स में ज्यादा हिस्सेदारी ले सकते हैं। यह आने वाले समय में इन्वेस्टर्स के लिए नए अवसर लाएगा।
Summary:
भारत सरकारी बैंकों में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट बढ़ाने पर सोच रहा है। यह लिमिट 49% तक बढ़ सकती है। इसका उद्देश्य सरकारी और प्राइवेट बैंकों के नियमों में समानता लाना है। विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ रही है। इससे बैंकों को कैपिटल मिल सकती है। फिलहाल इस प्लान पर कोई ऑफिशियल स्टेटमेंट सामने नहीं आया है।
