नई दिल्ली में आर्म्ड फाॅर्स ट्रिब्यूनल (AFT) की प्रमुख पीठ ने समय से पहले रिटायर्ड कर्मचारियों (PMR) को वन रैंक वन पेंशन (OROP) का लाभ न देने वाले सरकारी आदेश को अन कोंस्टीटूशनल करार दिया है। AFT ने अपने फैसले में कहा कि यह निर्णय कंस्टीटूशन के आर्टिकल 14 और 16 का उल्लंघन है, जो सार्वजनिक रोजगार में समानता और समान अवसर की गारंटी देता हैं।

यह निर्णय सरकारी आदेश के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में सामने आया है।
AFT ने OROP लाभ रद्द करने का किया फैसला
बता दें की आर्म्ड फाॅर्स के न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और रिटायर रियर एडमिरल धीरेन विग ने 31 जनवरी को एक अहम फैसला सुनाया। यह फैसला सेना, नौसेना और वायु सेना के अधिकारियों द्वारा OROP लाभों से समय से पहले रिटायर होने वाले (PMR) सैनिकों को बाहर रखने के खिलाफ याचिकाओं पर आधारित था।
इस फैसले से प्रभावित अधिकारी तीन मुख्य श्रेणियों में बांटे गए हैं-
श्रेणी A
यह वह PMR पेंशनभोगी है, जो 1 जुलाई, 2014 से पहले रिटायर हुए और जिन्होंने OROP का लाभ पहले ही प्राप्त कर लिया है।
श्रेणी B
यह वह PMR पेंशनभोगी है, जो 1 जुलाई, 2014 से लेकर 7 नवंबर, 2015 के बीच रिटायर हुए है।
श्रेणी C
यह वह PMR पेंशनभोगी है, जो 7 नवंबर, 2015 के बाद रिटायर हुए है और जिन्होंने OROP का लाभ नहीं प्राप्त किया है।
श्रेणी C के पेंशनभोगी, जिनके लिए AFT का फैसला विशेष रूप से महत्वपूर्ण था, सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। OROP योजना के तहत, सैन्य कर्मियों को 1973 तक समान पेंशन की सुविधा दी गई थी, चाहे वे किसी भी समय रिटायर हुए हों। हालांकि, 1973 में तीसरे वेतन आयोग द्वारा OROP योजना को समाप्त करने के बाद पेंशन में भिन्नताएँ और असमानताएँ उत्पन्न हो गईं।
सरकार ने OROP की फिर से जांच की
सरकार के इस फैसले से भूतपूर्व सैन्यकर्मियों के बीच चिंता और नाराजगी फैल गई है। जिसके चलते सरकार ने OROP की फिर से समीक्षा करने का फैसला किया। पिटीशनर ने कहा कि 5वें और 6वें सेंट्रल पे कमीशन (1987-2000) में OROP का जिक्र होने के बावजूद इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए है। वही 2004 में OROP लागू करने का वादा किया गया था, लेकिन 2008 में सरकार ने इसका समर्थन नहीं किया, जिससे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए।
इसके अलावा 2009 में, युद्ध के दिग्गजों ने OROP मुआवजे से इनकार करने के खिलाफ अपने पदक लौटा दिए। इसके बाद, सरकार ने 10 सदस्यीय कोशियारी समिति (Koshiyari Committee) का गठन किया। कमिटी ने दिसंबर 2011 में अपनी रिपोर्ट पेश की थी।
2014 में OROP लागू करने का निर्णय
बताते चलें की सरकार की OROP को अपनाने की योजना का खुलासा 2014 में डिफेन्स और फाइनेंस मिनिस्टर द्वारा किया गया था। फरवरी 2014 में, सरकार ने घोषणा की कि OROP को 2014-2015 के वित्तीय वर्ष में लागू किया जाएगा। वही वर्तमान सरकार ने OROP को लागू करने के लिए नवंबर 2015 में एक पॉलिसी जारी की हैं।
ऐसे में 1 जुलाई, 2014 को या उसके बाद रिटायर होने वाले लोग इस स्कीम के तहत OROP के लिए एलिजिबल नहीं थे। पिटीशनर ने यह तर्क दिया कि OROP में इरेगुलेरिटीज की जांच करने के लिए 14 दिसंबर, 2015 को गठित जुडिशल कमीशन द्वारा PMR कर्मचारियों को बाहर किए जाने का मसला हल नहीं किया गया था।
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SUMMARY
नई दिल्ली में आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल (AFT) ने समय से पहले रिटायर कर्मचारियों (PMR) को OROP का लाभ न देने वाले सरकारी आदेश को असंवैधानिक करार दिया है। यह फैसला कंस्टीटूशन के आर्टिकल 14 और 16 का उल्लंघन मानते हुए लिया गया। AFT ने PMR पेंशनर्स को तीन श्रेणियों में बांटते हुए OROP लाभ पर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की आलोचना की।
