अमेरिकी सीनेट ने एक अहम बिल पास किया है। इसके तहत गैर-अमेरिकी नागरिकों द्वारा किए गए अंतरराष्ट्रीय मनी ट्रांसफर पर 1% रेमिटेंस टैक्स लगेगा। यह नया नियम 1 जनवरी 2026 से लागू होगा। इसका असर उन लाखों भारतीयों और NRIs पर पड़ेगा, जो हर महीने अपने घर पैसा भेजते हैं। सरकार का मानना है कि यह फैसला टैक्स सिस्टम में एक बड़ा बदलाव लाएगा।

NRI को मिलेगी टैक्स में राहत, खास लेन-देन पर छूट
नई पॉलिसी के तहत कुछ खास तरीकों से भेजे गए पैसे पर 1% रेमिटेंस टैक्स नहीं लगेगा। इनमें शामिल हैं-
- ऑटोमैटिक क्लियरिंग हाउस (ACH) ट्रांसफर
- डेबिट कार्ड के ज़रिए भेजा गया पैसा
- क्रेडिट कार्ड से किए गए ट्रांजैक्शन
- वेरिफाइड अमेरिकी बैंक अकाउंट से ट्रांसफर
इन छूट से NRI को बड़ी राहत मिल सकती है। ज्यादातर ट्रांजैक्शन जैसे डेबिट कार्ड, बैंक अकाउंट या ACH के ज़रिए टैक्स के दायरे से बाहर रहेंगे। इसका मतलब है कि भारतीयों पर पड़ने वाला टैक्स का बोझ काफी हद तक कम हो सकता है।
NRI को राहत, टैक्स छूट से पैसे भेजना बना आसान
अमेरिका में रहने वाले भारतीयों के लिए यह फैसला अहम है। FY24 में भारत को अमेरिका से लगभग 33 बिलियन डॉलर की रेमिटेंस मिली। यह कुल रेमिटेंस का करीब 28% हिस्सा है। अगर टैक्स बढ़ता, तो परिवारों और स्टूडेंट को फंड भेजना मुश्किल हो सकता था। इस छूट से प्रवासी भारतीयों को सीधी राहत मिलेगी। अब रेमिटेंस भेजना पहले की तरह ही आसान और किफायती होगा।
‘वन बिग बिल’ और टैक्स का कनेक्शन
बता दें कि रेमिटेंस टैक्स एक बड़े आर्थिक सुधार बिल का हिस्सा है, जिसे ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ (One Big Beautiful Bill) कहा जा रहा है। इस बिल का उद्देश्य है फेडरल रेवेन्यू बढ़ाना, इमीग्रेशन सुधारों के लिए फंड जुटाना और अमेरिका की बॉर्डर सिक्योरिटी को मजबूत करना।
हालांकि इस फैसले को लेकर कुछ विरोध भी हो रहा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह टैक्स माइग्रेंट कम्युनिटी को प्रभावित करेगा। खासतौर पर जो पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर हैं।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के अजय श्रीवास्तव ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि इस नियम से प्रवासियों की कमाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
विदेश से पैसा भेजना होगा अब और आसान
विदेश में रहने वाले भारतीयों के लिए एक जरूरी सुझाव सामने आया है। फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का मानना है कि अब बैंकिंग के सुरक्षित तरीके अपनाना जरूरी हो गया है। ऐसा करने से टैक्स की बचत होगी और लेन-देन ज़्यादा सिक्योर रहेगा। साथ ही, ट्रांजैक्शन में पारदर्शिता बनी रहेगी, जो सभी के लिए फायदेमंद है।
इस बदलाव से विदेश से पैसे भेजना अब पहले से आसान और ज्यादा भरोसेमंद हो जाएगा। साथ ही, महंगे और गैर-सरकारी (informal channels) तरीकों का इस्तेमाल भी कम हो जाएगा।
क्या होना चाहिए NRIs का अगला कदम?
देखा जाए तो एनआरआई के पास अभी पांच महीने से ज्यादा समय है। यह तैयारी करने का सही मौका है। सबसे पहले, वे अपने पैसे भेजने के तरीकों की जांच करें। अगर तरीका महंगा या कठिन हो, तो सस्ते और भरोसेमंद विकल्प चुनें। साथ ही, लॉन्ग टर्म प्लानिंग के लिए किसी एक्सपर्ट से सलाह लेना जरूरी है।
Summary
अमेरिकी सीनेट ने अंतरराष्ट्रीय मनी ट्रांसफर पर 1% रेमिटेंस टैक्स को मंज़ूरी दी है। यह 1 जनवरी 2026 से लागू होगा। हालांकि, ACH, डेबिट/क्रेडिट कार्ड और वेरिफाइड अमेरिकी बैंक अकाउंट से भेजे गए पैसों पर छूट मिलेगी। यह उन लाखों भारतीयों और NRI के लिए बड़ी राहत है जो अपने घर पैसे भेजते हैं। इस कदम से पैसे भेजना अब पहले से अधिक आसान और किफ़ायती होगा।
