हाल ही में महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल (MMC) की नई नीति को लेकर विवाद शुरू हो गया है। इस पॉलिसी के तहत अब होम्योपैथिक डॉक्टर छह महीने का फार्माकोलॉजी सर्टिफिकेट कोर्स करने के बाद एलोपैथिक दवाएं लिख सकेंगे।दरअसल, यह नई नीति 30 जून 2025 से लागू हो चुकी है। फैसले के बाद चिकित्सा जगत में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस फैसले से क्रॉस-पैथी पर बहस फिर तेज हो गई है। भारत में मेडिकल प्रैक्टिस की सीमाएं एक बार फिर चर्चा में हैं।

होम्योपैथी से एलोपैथी तक, CCMP कोर्स का महत्व
महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल (MMC) ने हाल ही में एक नोटिस जारी किया है। इसके मुताबिक, जो होम्योपैथी डॉक्टर ‘सर्टिफिकेट कोर्स इन मॉडर्न फार्माकोलॉजी’ (CCMP) पूरा करेंगे, उन्हें एलोपैथिक दवाएं लिखने की अनुमति मिल सकेगी। यानी, अब वे मॉडर्न मेडिकल प्रैक्टिस का सीमित रूप से अभ्यास कर सकेंगे।
बता दें की इसे 2014 में ही मंजूरी मिल चुकी थी। तब महाराष्ट्र होम्योपैथिक चिकित्सक अधिनियम और महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल एक्ट में बदलाव किए गए थे। लेकिन उस समय इसे केवल कागज़ पर मंजूरी मिली थी। ऐसे में अब सालों बाद, यह पॉलिसी आखिरकार लॉन्च हो गई है। इसी वजह से एक बार फिर यह मुद्दा चर्चा में आ गया है।
IMA ने नई नीति को बताया गंभीर खतरा
इस बीच IMA (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. शिवकुमार उत्तुरे ने कहा कि यह कदम पूरी तरह गलत है। उनका मानना है कि यह पॉलिसी मरीजों को गुमराह करेगी। साथ ही, मॉडर्न मेडिकल प्रैक्टिस को भी कमजोर करेगी। डॉ. उत्तुरे ने बताया कि यह मामला अभी कोर्ट में चल रहा है। आईएमए ने इस नीति के खिलाफ आवेदन दायर किया है। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने फिलहाल इस पर रोक भी लगा दी है।
आईएमए की सबसे बड़ी चिंता यह है कि बिना सही ज्ञान के फार्माकोलॉजी का सीमित ट्रेनिंग स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता है। रोग को समझे बिना, उसका सही इलाज तय करना मुश्किल हो सकता है। ऐसी स्थिति में यह नीति मरीजों की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है।
नेटिज़ेंस जमकर कर रहे है विरोध
इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर विरोध हो रहा है। कई यूजर्स ने मरीजों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता जताई है। एक यूजर ने लिखा, “जो होम्योपैथ जीरो साइड इफेक्ट्स का दावा करते हैं, वे एलोपैथ की दवाएं क्यों लिखना चाहते हैं?”
वही एक अन्य पोस्ट में कहा गया, “अगर सिर्फ फार्माकोलॉजी की पढ़ाई ही काफी है, तो फिर नर्स प्रैक्टिशनर को भी डॉक्टर बना देना चाहिए। भारत में ऐसा नहीं चल सकता।”
कई लोगों ने इस फैसले को “जान से खिलवाड़” बताया। कुछ ने सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए कि ऐसे कदम क्यों उठाए जा रहे हैं।
फिलहाल जांच के दायरे में है पॉलिसी
महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि यह पॉलिसी स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने की दिशा में एक सुधार है। वही डॉक्टरों और आम लोगों का मानना है कि इससे कई खतरे पैदा हो सकते हैं। उनका कहना है कि इससे बीमारी की सही पहचान नहीं हो पाएगी। दवाओं का गलत इस्तेमाल हो सकता है। इतना ही नहीं, मरीजों का भरोसा कमजोर हो सकता है।
फिलहाल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस नीति को लागू करने पर रोक लगा दी है। यह मामला अब अदालत में है और अगली सुनवाई तक कोई फैसला नहीं होगा।
Summary
महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल की नई नीति के तहत होम्योपैथ डॉक्टर अब छह महीने का CCMP कोर्स कर एलोपैथिक दवाएं लिख सकेंगे। इस फैसले का IMA और आम जनता ने विरोध किया है। विशेषज्ञों ने मरीजों की सुरक्षा पर चिंता जताई है। मामला अब कोर्ट में है और बॉम्बे हाईकोर्ट ने फिलहाल इस नीति पर रोक लगा दी है।
