इमिग्रेशन न्यूज़ीलैंड (INZ) ने हाल ही में एक एहतिहासिक कदम उठाया है। बता दें की भारत को एलिजिबल क्वालिफिकेशंस एग्जेम्प्शन एलिस्ट (LQEA) में शामिल कर लिया गया है। यह बदलाव 23 जून, 2025 से लागू हो गया है। इस कदम से इंडियन डिग्रीहोल्डर्स को बड़ी राहत मिलेगी। अब उन्हें इंटरनेशनल क्वालिफिकेशन असेसमेंट (IQA) की जरूरत नहीं होगी।

दरअसल, क्वालिटी एश्योरेंस (QA) एक समय लेने वाली और महंगी प्रक्रिया थी। ऐसे में यह बदलाव हज़ारों भारतीय आवेदकों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है।
अब कई Visa Category पर मिलेगी बड़ी राहत
नए नियमों के तहत, Visa Applicants को अब पहले की तुलना में अधिक सुविधा मिलेगी। यह छूट कई वीज़ा केटेगरी पर लागू की गई है, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं-
- डिग्री के बाद वर्क वीज़ा (Post-Study Work Visa)
- कुशल प्रवासी श्रेणी (Skilled Migrant Category – SMC)
- मान्यता प्राप्त एम्प्लॉयर वर्क वीज़ा (Accredited Employer Work Visa – AEWV)
- ग्रीन लिस्ट भूमिकाएं, जिनमें स्वास्थ्य सेवा, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) और इंजीनियरिंग सेक्टर से जुड़ी जॉब्स शामिल हैं।
वीज़ा प्रक्रिया अब होगी तेज़ और आसान
बता दें कि पहले IQA एक महंगी और समय लेने वाली प्रक्रिया थी। इसकी वजह से भारतीय छात्रों और कामकाजी लोगों को वीज़ा मिलने में देरी होती थी। लेकिन अब इस प्रक्रिया को हटा दिया गया है। इससे वीज़ा जल्दी मिलेगा और खर्च भी कम होगा।
इमिग्रेशन न्यूज़ीलैंड (INZ) का कहना है कि यह बदलाव वीज़ा प्रणाली को बेहतर और तेज़ बनाने के लिए किया गया है। इस बदलाव दर्शाता है कि भारतीय यूनिवर्सिटियों पर अब भरोसा किया जा रहा है।
न्यूज़ीलैंड में भारतीय छात्रों के नॉमिनेशन में बढ़ोतरी
बताते चलें की न्यूज़ीलैंड में भारतीय छात्रों के नॉमिनेशन में 2023 से 2024 के बीच 34% की वृद्धि हुई है। अब भारतीय छात्र कुल अंतरराष्ट्रीय नॉमिनेशन का 11% हिस्सा हैं। यह संख्या चीनी स्टूडेंट्स के बाद दूसरे स्थान पर है। यह बदलाव ऐसे समय में आया है जब भारतीय छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
ये इंस्टीटूशन खासतौर पर डेटा साइंस, बिजनेस, हॉस्पिटैलिटी, इंजीनियरिंग और हेल्थ केयर में उत्कृष्टत शिक्षा के लिए मशहूर हैं। हर साल छात्रों को NZD 20,000 से 40,000 के बीच ट्यूशन फीस चुकानी होती है। यह अमाउंट अमेरिका और ब्रिटेन जैसी महंगी जगहों की तुलना में काफी कम है। इसी वजह से न्यूज़ीलैंड छात्रों के लिए आकर्षक विकल्प बन गया हैं।
पढ़ाई के बाद करियर के शानदार अवसर
न्यूज़ीलैंड अपने छात्रों को पढ़ाई के बाद वर्क वीज़ा के कई आसान ऑप्शन देता है। अगर कोई छात्र मास्टर डिग्री या PHD की पढ़ाई 30 सप्ताह या उससे अधिक समय में पूरा करता है, तो उसे 3 साल का वर्क परमिट मिल सकता है। शॉर्ट ड्यूरेशन कोर्स या कई क्वालिफिकेशन एक साथ रखने वाले छात्र भी इस वर्क वीज़ा के लिए एलिजिबल होते हैं। यह सिस्टम छात्रों को करियर प्लानिंग में मदद करता है।
न्यूज़ीलैंड में पहले से ही लगभग 2,70,000 भारतीय रह रहे हैं। इस वजह से नए छात्रों को काफी मदद मिलेगी। उन्हें मजबूत कम्युनिटी सपोर्ट मिलेगा। साथ ही, वे आसानी से अपनी संस्कृति से जुड़ पाएंगे। प्रोफेशनल नेटवर्क भी तेजी से बढ़ेगा।
Summary
इमिग्रेशन न्यूज़ीलैंड ने भारत को एलिजिबल क्वालिफिकेशंस एग्जेम्प्शन एलिस्ट में शामिल किया है। अब भारतीय डिग्रीहोल्डर्स को IQA कराने की जरूरत नहीं होगी, जिससे वीज़ा प्रोसेस तेज़ और किफायती होगी। न्यूज़ीलैंड में भारतीय छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यहां एजुकेशन के बाद उन्हें बेहतर करियर के कई अवसर भी मिलते हैं। यह देश न सिर्फ क्वालिटी एजुकेशन देता है, बल्कि पढ़ाई खत्म होने के बाद रोजगार के बेहतरीन अवसर भी प्रदान करता है।
