भारत की लंबे समय से विलंबित जनगणना सितंबर में शुरू होने की उम्मीद बताई जा रही है। दरअसल, भारत में दस सालों में एक बार होने वाली जनगणना, 2021 में पूरी होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते इसे स्थगित करना पड़ा। न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स को मामले से जुड़े दो सरकारी सूत्रों ने बताया कि अगले महीने शुरू होने वाले एक नए सर्वेक्षण को पूरा करने में लगभग आठ महीने का समय लगेगा। रॉयटर्स के अनुसार, परिणाम मार्च 2026 तक जारी होने की उम्मीद है।

जनगणना में लगातार हो रही देरी की अर्थशास्त्रियों और राजनेताओं ने भारी आलोचना की है। उनका दावा है कि इस देरी ने इकनोमिक डेटा, इन्फ्लेशन और एम्प्लॉयमेंट एस्टीमेट की विभिन्न स्टैटिस्टिकल समीक्षाओं की सटीकता और विश्वसनीयता को प्रभावित किया है।
जनगणना 2021 में देरी पर उठे सवाल
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने जनगणना में देरी और अपर्याप्त फंडिंग पर निराशा व्यक्त की और चेतावनी दी कि इसका एडमिनिस्ट्रेटिव कैपेसिटी पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा, जिससे संभावित रूप से लाखों लोग नेशनल फ़ूड सिक्योरिटी एक्ट के दायरे से बाहर हो जाएंगे।
जनगणना 2021 को पहली डिजिटल जनगणना के रूप में देखा जा रहा हैं, जो नागरिकों को स्वयं गणना करने का अवसर प्रदान करेगी, लेकिन बजट कटौती के कारण इसके भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं।
PMO से फिलहाल नहीं मिली मंजूरी
आपको बता दें, एक सरकारी अधिकारी ने यह भी कहा कि जनगणना शुरू करने के लिए अभी तक प्रधानमंत्री ऑफिस से अंतिम मंजूरी नहीं मिली है और इसका इंतजार किया जा रहा है। पिछले साल जारी संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत वर्तमान में दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है। साल 2023 में, भारत इस मामले में चीन को पछाड़कर नंबर वन आबादी वाला देश बन गया था।
बताते चलें की वर्तमान में, अधिकांश सरकारी कार्यक्रम और नीतियां पुरानी 2011 की जनगणना पर निर्भर हैं, जिससे इसकी प्रभावशीलता कम हो गई है। गृह मंत्रालय और सांख्यिकी एवं योजना कार्यान्वयन मंत्रालय नई जनगणना प्रक्रिया शुरू करने के लिए एक विस्तृत समयसीमा पर काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय से अंतिम मंजूरी का इंतजार है।
