भारत में मोबाइल डेटा और वॉइस कॉल की कीमतें जल्द ही बढ़ सकती हैं। जियो और एयरटेल जैसे प्रमुख टेलीकॉम ऑपरेटर 2025 के अंत तक टैरिफ दरों में इजाफा कर सकते हैं। हालांकि, एंट्री-लेवल प्लान्स पर इसका असर नहीं होगा। टेलीकॉम सेक्टर में इस परिवर्तन का मुख्य कारण बढ़ती कॉस्ट और रेवेन्यू बढ़ाने की रणनीति को माना जा रहा है। आइए विस्तारपूर्वक जानते है की क्या है टेलीकॉम इंडस्ट्री की आगामी स्ट्रेटेजी-

टेलीकॉम इंडस्ट्री में टैरिफ बढ़ोतरी की उम्मीद
IIFL कैपिटल की एक रिपोर्ट बताती है कि भारतीय टेलीकॉम सेक्टर जल्द ही टैरिफ में एक और बढ़ोतरी का सामना कर सकता है, जो 2025 के अंत तक 15% से अधिक हो सकती है।
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कम आय वाले कस्टमर्स को ध्यान में रखते हुए एंट्री-लेवल प्लान्स को इस बढ़ोतरी से अलग रखा जा सकता है। यह कदम टेलीकॉम इंडस्ट्री की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी के लिए खासतौर पर अहम है। खासकर वोडाफोन आइडिया (Vi) के लिए, जो बाजार में खुद को एक मजबूत तीसरे खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहा है।
टेलीकॉम इंडस्ट्री की मुख्य चुनौती
रिपोर्ट में यह संभावना जताई गई है कि ‘2025 के अंत तक टैरिफ में 15% से अधिक की बढ़ोतरी आ सकती है। हालांकि, एंट्री लेवल प्लान्स में कोई बदलाव होने की स्थिति नहीं है।’ इसके अलावा, हाल ही में इंडस्ट्री के सामने रेवेन्यू वृद्धि और कस्टमर रिटेंशन बीच संतुलन बनाने जैसी मुख्य चुनौतियां हैं।
आपको बता दें की जुलाई 2024 में लागू की गई पिछली टैरिफ बढ़ोतरी ने सिम कंसोलिडेशन (SIM consolidation) और डाउन-ट्रेडिंग को बढ़ावा दिया, जिससे Jio और वोडाफोन आइडिया जैसी कंपनियों को राहत मिली है। हालांकि इसके बावजूद भी रेवेन्यू में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो सकी। इसके साथ ही, अन्य आर्थिक क्षेत्रों में कमजोर कंजप्शन एक्सपेंडिचर ने उपभोक्ताओं की खर्च करने की क्षमता को और प्रभावित किया है।
TRAI ने किफायती वॉयस पैक किए अनिवार्य
बताते चलें की टेलीकॉम इंडस्ट्री के इस कदम से रेवेन्यू पर काफी हद तक प्रभाव पड़ने की संभावना है। इसके साथ ही, टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने (TRAI) ने हाल ही में बंडल डेटा के बिना वॉयस और SMS ओनली पैक की शुरुआत को भी अनिवार्य किया है। इस कदम का उद्देश्य उन ग्राहकों के लिए योजनाओं को किफायती बनाना है, जिन्हें डेटा सेवाओं की आवश्यकता नहीं है। खासकर एंट्री लेवल कस्टमर्स के लिए यह एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।
आगे रिपोर्ट में बताया गया की चुनौतियों के बावजूद, Vi की वित्तीय स्थिरता बनाए रखने और कम्पटीशन में टिके रहने के लिए टैरिफ हाइक अनिवार्य है। ऐसे में यह कहा जा सकता है की ये कदम विशेष रूप से Vi को सहारा देने के लिए लागू किए गए हैं।
Vi को मजबूत बनाने की चुनौती बरकरार
रिपोर्ट के अनुसार, टैरिफ वृद्धि का कोई बड़ा जोखिम नहीं है, क्योंकि राहत उपाय Vi को एक मजबूत तीसरा खिलाड़ी बनाने में पूरी तरह सफल नहीं हो पाए। ऐसे में कंपनी मिड और हाई लेवल प्लान्स में प्राइस हाइक करने की योजना बना रही है। हालांकि इस बीच बजट कॉन्शियस यूजर्स को प्रभावित न करके और सिम कंसोलिडेशन से बचने के लिए प्रवेश स्तर स्कीम में बदलाव नहीं किए जाएंगे।
ऐसे में यह कहा जा सकता है की टेलीकॉम इंडस्ट्री फाइनेंशियल स्टेबिलिटीऔर कंस्यूमर अफ्फोर्डेबिलिटी के बीच संतुलन बनाए रखने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
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SUMMARY
भारत में मोबाइल डेटा और वॉयस कॉल की कीमतें 2025 के अंत तक बढ़ सकती हैं, हालांकि एंट्री-लेवल प्लान्स पर इसका असर नहीं होगा। टेलीकॉम कंपनियां, जैसे जियो और एयरटेल, बढ़ती कॉस्ट और रेवेन्यू बढ़ाने की रणनीति के तहत टैरिफ में वृद्धि कर सकती हैं। TRAI ने किफायती वॉयस और SMS पैक को अनिवार्य किया है, खासकर बजट यूजर्स के लिए। Vi की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बनाए रखने के लिए टैरिफ हाइक जरूरी है।
