प्लास्टिक कचरा हमेशा से ही पर्यावरण के लिए एक गंभीर समस्या बनकर सामने आया है। यह न केवल समुद्रों में गंदगी फैलाकर उसकी ख़ूबसूरती को खराब करता है, बल्कि समुद्री जीवन को भी संकट में डालता है। हालांकि इससे निजात पाने के लिए साइंटिस्ट ने एक नई खोज की है।

दरअसल जापान के RIKEN सेंटर फॉर इमर्जेंट मैटर साइंस के वैज्ञानिकों ने एक बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक विकसित किया है, जो सिर्फ कुछ घंटों में समुद्री पानी में घुलकर पॉल्यूशन को कम करने में मदद करता है।
यह ट्रेडिशनल प्लास्टिक से किस तरह अलग है?
- पारंपरिक प्लास्टिक की बात करें तो इसे टूटने में बहुत लंबा समय लगता है, और यह समुद्रों और प्राकृतिक तंत्रों में जमा हो जाता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है।
- यह नया बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक समुद्र के पानी में कुछ ही घंटों में और मिट्टी में 10 दिनों में घुल जाता है, जिससे यह पर्यावरण के लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।
कार्बन फुटप्रिंट में कमी और मिट्टी की उर्वरता में सुधार
- जब इसे मिट्टी में फेंका जाता है, तो यह कार्बनिक खाद का रूप ले लेता है और खेत की मिट्टी को उपजाऊ बनाता है।
- पारंपरिक प्लास्टिक की तरह इसमें से कार्बन डाइऑक्साइड नहीं निकलती, जिससे वातावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।
- यह आसानी से रीसायकल हो जाता है, जिससे नया प्लास्टिक बनाने की आवश्यकता में भी कमी आती है।
स्वच्छ पर्यावरण की दिशा में एक कदम
ऐसे में यह कहा जा सकता है की जापान बेस्ड यह तकनीक जल्दी गल जाती है, जहरीली नहीं होती और रीसायकल की जा सकती है। यही वजह है कि यह पैकेजिंग, मेडिकल उपकरणों और फैक्ट्रियों में बड़ा बदलाव ला सकती है। यह निश्चित तौर पर धरती को साफ-सुथरा और टिकाऊ बनाए रखने में मददगार साबित होगी।
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SUMMARY
प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए जापान के साइंटिस्ट ने एक नया बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक तैयार किया है, जो समुद्र में घंटों और मिट्टी में 10 दिनों में घुल जाता है। यह उर्वरता बढ़ाता है, कार्बन डाइऑक्साइड को कम करता है और आसानी से रीसायकल भी हो जाता है। ऐसे में यह तकनीक पर्यावरण को सुरक्षित रखने की ओर एक अहम कदम है।
