Investors ने म्यूचुअल फंड पर चुकाया 21,000 करोड़ का भारी कमीशन, जानिए क्या है वजह!


Bhawna Mishra

Bhawna Mishra

Sep 10, 2025


AMFI की एक स्टडी में बड़ा खुलासा हुआ है। हाल ही में म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स की कमाई में 40% की तेज़ बढ़त दर्ज की गई है। कुल कमीशन अब ₹21,000 करोड़ तक पहुंच गया है। अगर बैंकों की बात करें तो, HDFC बैंक को अपनी ही एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) से सबसे कम कमाई हुई। वहीं, दूसरी ओर, SBI का डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल पूरी तरह अपनी AMC पर निर्भर रहा है।

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (Kotak Institutional Equities) की रिपोर्ट भी इस ट्रेंड की पुष्टि करती है। इस रिपोर्ट के अनुसार, NJ और Prudent जैसे इंडिपेंडेंट डिस्ट्रीब्यूटर को सबसे ज़्यादा फायदा हुआ है। पिछले दस सालों में इनके कमीशन में हर साल 30 से 35% की बढ़त दर्ज की गई है। 

म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूशन में बैंकों की पकड़ कमजोर

म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूशन का फेज बदल रहा है। अब यह सिस्टम बैंकों से हटकर इंडिपेंडेंट कंपनियों की ओर बढ़ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, स्मॉल डिस्ट्रीब्यूटर और ओपन-आर्किटेक्चर मॉडल का प्रभाव बढ़ रहा है। इसके साथ ही FY2025 में छोटे डिस्ट्रीब्यूटरों की हिस्सेदारी और भी मजबूत हुई है। हालांकि इस बीच, प्राइवेट और विदेशी बैंकों की हिस्सेदारी में गिरावट आई है।

इस बीच, डिस्ट्रीब्यूटर्स की कमाई में भी इजाफा देखा गया है। NFO यानी न्यू फंड ऑफर की संख्या बढ़ने से इनकी आय में तेजी आई। FY25 में NFO के जरिए ₹89,800 करोड़ जोड़ें गए है। वही पिछले साल, FY24 में यह आंकड़ा ₹54,400 करोड़ था। FY26 की शुरुआत में अब तक ₹15,600 करोड़ से ज्यादा की निवेश राशि आ चुकी है। ऐसे में डिस्ट्रीब्यूशन के इस नए ट्रेंड पर अब पूरी इंडस्ट्री की नजर है।

कैसे बदल रहा है भारत का Mutual Fund Market?

रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ बड़ी AMC ने कमीशन में कटौती की है। इससे साफ है कि रेवेन्यू शेयरिंग स्ट्रक्चर अब भी असंतुलित है। टॉप AMC को इसका ज़्यादा फायदा मिल रहा है। हालांकि, डिस्ट्रीब्यूटर्स के पास अब भी मौका है कि वे अपने फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स को बेहतर बनाएं। वही, कोटक (Kotak) का मानना है कि भले ही लोग डायरेक्ट इक्विटी में ज्यादा निवेश कर रहे हों, फिर भी भारत में म्यूचुअल फंड मार्केट कमीशन बेस्ड ही रहेगा।

बताते चलें की आने वाले समय में म्यूचुअल फंड मार्केट का मॉडल विदेशों जैसा हो सकता है। अमेरिका की तरह एडवाइजरी ड्राईवेन मॉडल अपनाया जा सकता है। इसके अलावा यूरोप (Europe) के डिस्क्लोजर-बेस्ड कमीशन मॉडल भी एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। वही चीन के बात की जाए तो यहां में फीस पर लिमिट तय है, जबकि यूके और नीदरलैंड (UK, Netherlands) में कमीशन को पूरी तरह से बैन कर दिया है। अब भारत में भी बदलाव हो रहे हैं। इसकी शुरुआत RIA सिस्टम और पैसिव फोकस वाले प्लेटफॉर्म्स से हो रही हुई है।

Summary:

AMFI की रिपोर्ट के मुताबिक, FY25 में म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स की इनकम में 40% की वृद्धि देखने को मिली है। इस बीच कुल कमीशन ₹21,000 करोड़ तक पहुंच गया है। जहां एक ओर इंडिपेंडेंट डिस्ट्रीब्यूटर्स का दबदबा बढ़ रहा है, वही दूसरी ओर बैंकों की हिस्सेदारी कम हो रही है। NJ और Prudent जैसे डिस्ट्रीब्यूटर्स को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है। भविष्य में विदेशी देशों जैसे एडवाइजरी और डिस्क्लोजर-बेस्ड मॉडल अपनाने की संभावना है।


Bhawna Mishra
Bhawna Mishra
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She is a seasoned writer with a passion for Storytelling and a keen interest in diverse topics. With 2.5 years of experience, she excels in writing about Tech, Sports, Entertainment, and various Niche topics. Bhawna holds a Postgraduate Degree in Journalism and Mass Communication from St Wilfred’s College of Jaipur.

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