मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस फैसले में कहा गया है कि अगर रोड एक्सीडेंट दौरान ड्राइवर नशे में हो, तब भी इंश्योरेंस कंपनी मृतक के परिवार को मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार होगी। यह फैसला पीड़ित परिवारों को राहत देगा, खासकर उस स्थिति में जहां इंश्योरेंस कंपनी तकनीकी कारणों से मुआवजा देने से मना कर देती है।
ड्रंक ड्राइविंग में भी मुआवजा देने का आदेश
इस मामले की सुनवाई जस्टिस एम. ढंडापानी ने की, जिन्होनें मुहम्मद राशिद के केस राशिद बनाम गिरिवासन E.K.(Rashid vs Girivasan E.K.) में केरल हाई कोर्ट में इसी तरह के फैसले का ज़िक्र किया। केरल की कोर्ट ने पहले कहा था कि अगर इंश्योरेंस पॉलिसी में ड्रंक ड्राइविंग पर रोक है, फिर भी इंश्योरेंस कंपनी को मुआवजा देना होगा, हालांकि बाद में वह पॉलिसी होल्डर्स से पैसे रिकवर कर सकती है।

इसी प्रीसीडेंट के तौर पर, मद्रास हाई कोर्ट ने बीमा कंपनी को आदेश दिया कि पहले विक्टिम को कंपनसेशन राशि दी जाए, और अगर जरूरत हो तो बाद में वीकल ओनर से पैसा रिकवर करें।
क्या है ये पूरा मामला?
दरअसल यह पूरा मामला 30 दिसंबर, 2017 की एक घटना से संबंधित है, जहां 37 वर्षीय राजशेखरन को चेन्नई के थिरुनीरमलाई मेन रोड पर एक वैन ने टक्कर मार दी। ऐसे में राजशेखरन के परिवार ने ₹65 लाख का कंपनसेशन मांगा था, लेकिन मोटर एक्सीडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल (MACT) ने उन्हें केवल ₹27,65,300 का मुआवजा दिया। इतना ही नहीं ड्राइवर के नशे में होने के कारण इंश्योरेंस कंपनी को भी कंपनसेशन देने से मुक्त कर दिया था।
ऐसे में MACT के फैसले से असहमत होकर, मृतक के परिवार ने हाई कोर्ट अपील की, जिसमें यह कहा गया कि ट्रिब्यूनल का निर्णय गलत था और कंपनसेशन का अमाउंट भी पर्याप्त नहीं था। उन्होंने यह भी बताया कि मृतक रोज़ाना ₹700 कमाता था, लेकिन ट्रिब्यूनल ने उसकी आय ₹13,700 प्रति माह निर्धारित की थी। ऐसे में हाई कोर्ट ने इन तर्कों को सही पाया और मासिक इनकम ₹15,000 करने का आदेश दिया, साथ ही मुआवजा की राशि को बढ़ाकर ₹30,25,000 कर दिया।
ड्राइवर की गलती से परिवार को न हो नुकसान, हाई कोर्ट
इस पुरे मामले पर अपनी बात रखते हुए जस्टिस ढांडापानी ने कहा कि ड्राइवरों द्वारा पॉलिसी उल्लंघन के कारण पीड़ित परिवारों को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। उन्होंने बीमा कंपनी को तुरंत मुआवज़ा देने की जिम्मेदारी दी और छह सप्ताह में बढ़ा हुआ कंपनसेशन डिपॉजिट करने का भी आदेश दिया। साथ ही इंश्योरेंस कंपनी को लीगल प्रोसीजर के तहत राशि वसूलने की छूट दी।
इस फैसले ने भारतीय कानून के तहत एक्सीडेंट के बाद मिलने वाली सुरक्षा को और भी मजबूत किया है। ताकि भविष्य में प्रभावित परिवारों को किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।
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SUMMARY
मद्रास हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि अगर ड्राइवर एक्सीडेंट के दौरान नशे में हो, तो भी इंश्योरेंस कंपनी मृतक के परिवार को मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार होगी। कोर्ट ने बीमा कंपनी को तुरंत बढ़ी हुई मुआवजा राशि जमा करने का आदेश दिया। इस फैसले से भविष्य में पीड़ित परिवारों को राहत मिलेगी और सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
