कनाडा में इस समय पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। दरअसल, संघीय नीति में बदलाव के कारण 70,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय स्नातकों को डिपोर्टेशन का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में शानदार करियर का सपना लेकर आए छात्रों का कहना है कि उनका भविष्य खतरे में है। इससे छात्रों पर न केवल नकारात्मक प्रभाव पड़ा हैं बल्कि उनके सपने भी टूट गए हैं। कुछ विद्यार्थियों का यह भी कहना है की उनपर भारी कर्ज हो गया हैं।

कनाडा में बढे छात्र विरोध प्रदर्शन
कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का एक बड़ा समूह इस समय डिपोर्टेशन की धमकी के खिलाफ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन कर रहा है। प्रिंस एडवर्ड आइलैंड, ओंटारियो, मैनिटोबा और ब्रिटिश कोलंबिया के छात्रों ने सरकार के नए प्रोविशनल नियमों के खिलाफ आवाज उठाई है। जिसके कारण स्थायी निवास के लिए नामांकन करने वाले छात्रों की संख्या में 25 प्रतिशत की गिरावट आई है।
महकदीप सिंह, जो कनाडा में स्थायी निवास के लिए आवेदन करने वाले पूर्व अंतर्राष्ट्रीय छात्र हैं, ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन के छह साल कनाडा में पढ़ाई और काम में बिताए, लोन का भुगतान किया, और पर्याप्त CRS अंक अर्जित किए। इसके बावजूद, अब जब वह अपने वर्क परमिट की समाप्ति के करीब हैं, तो परमानेंट रेजीडेंस की कोई स्पष्टता नहीं है।
इमिग्रेशन कंसल्टेंट कंवर सिएराह के अनुसार, छात्रों में अनिश्चितता बढ़ गई है क्योंकि अब प्रक्रिया में कॉन्टिनुइटी नहीं है। इन छात्रों और उनके समर्थन में खड़े वकालत समूहों का कहना है कि सरकार को वर्क परमिट बढ़ाने और स्थायी निवास के लिए स्पष्ट मार्ग प्रदान करना चाहिए। उनका मानना है कि वे कनाडाई अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं और उनके साथ उचित व्यवहार किया जाना चाहिए।
कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की अनिश्चित स्थिति
छात्रों का कहना है कि कनाडा की शिक्षा और अर्थव्यवस्था में भारी निवेश के बावजूद सरकार उन्हें अनदेखा कर रही है। उन्होंने कहा कि उन्हें पढ़ाई और कर्ज के बीच घर लौटने के लिए कहा जा रहा है।
छात्र और उनके समर्थक सरकार से स्नातकों के लिए वर्क परमिट बढ़ाने, स्थायी निवास के लिए एक स्पष्ट रास्ता बनाने और प्रणालीगत समस्याओं का समाधान करने का आग्रह किया है। उनका मानना है कि इन बदलावों के बिना कनाडा सरकार भविष्य में अंतरराष्ट्रीय छात्रों का भरोसा खो सकती है।
