भारतीय रेलवे अब पैसेंजर्स की सुविधा के लिए नए कदम उठा रही है। मॉडर्नाइजेशन और कॉस्ट ऑप्टिमाइजेशन के तहत परमानेंट जनरल टिकट काउंटरों को धीरे-धीरे हटाया जा रहा है। इसके साथ ही, रेलवे कर्मचारियों को अब अन्य डिपार्टमेंट्स में री-अलोकेट किया जा रहा है।
अब, प्राइवेट एजेंसियों और UTS सहायकों पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है, जो टिकट प्रबंधन में नई दिशा और सुधार लेकर आ रहे हैं।

मोबाइल UTS से बदल रहा है रेल टिकट सिस्टम
एक नए पायलट प्रोजेक्ट के तहत, केरल जैसे चुनिंदा स्टेशनों पर मोबाइल UTS सहायक नियुक्त किए गए हैं। ये कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड असिस्टेंट, टिकट बिक्री में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
इसका उद्देश्य टेम्पररी काउंटर कर्मचारियों पर निर्भरता को कम करना है। अगर यह मॉडल सफल होता है, तो इसे देश भर में लागू किया जाएगा।
रेलवे टिकटिंग में प्राइवेट एजेंसी का बढ़ता प्रभाव
बता दें कि भारतीय रेलवे ने 2019 से टिकट बुकिंग में प्राइवेट कंपनियों को शामिल किया गया था। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं-
- जन साधारण टिकट बुकिंग सेवक (JTBS) काउंटर
- सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारियों द्वारा चलाए गए ऑटोमैटिक टिकट वेंडिंग मशीन (ATVM)
- कमीशन पर काम करने वाले स्टेशन टिकट बुकिंग एजेंट (STBA)
रेलवे काउंटर बंद, कर्मचारियों की संख्या में कमी
रेलवे ने PRS काउंटरों को बदलकर, UTS काउंटर में तबदील किया हैं। इससे कर्मचारियों की संख्या में कमी आई है। ये काउंटर पहले रिजर्वेशन के लिए काम करते हैं। जिसके बाद, अनारक्षित टिकटों की बिक्री शुरू की जाती थी। ऐसे में इस बदलाव से न केवल कर्मचारियों की ज़रूरत कम हुई है, बल्कि सिस्टम भी ज्यादा सुविधाजनक हो गया है।
रेलवे अब कर्मचारियों को काउंटर ड्यूटी से हटाकर अन्य जरूरी कामों में लगा रहा है। इसका उद्देश्य टिकट बुकिंग में सुधार, खर्च घटाना और नई तकनीक का प्रभावी इस्तेमाल करना है।
Summary
भारतीय रेलवे अब अपने सिस्टम को और ज्यादा सुविधाजनक और किफायती बनाने के लिए नए कदम उठा रही है। परमानेंट टिकट काउंटरों को हटाकर, कर्मचारियों को अन्य विभागों में नियुक्त किया जा रहा है। मोबाइल UTS सहायकों और प्राइवेट एजेंसियों का उपयोग बढ़ाया जा रहा है। यह बदलाव टिकटिंग प्रक्रिया को बेहतर बनाएगा।
