भारत में अब डायबिटीज की एक महत्वपूर्ण दवा, Empagliflozin की कीमत 90% तक कम हो गई है। आपको बता दें की इस दवा का पेटेंट 11 मार्च 2025 को समाप्त हो गया, जिसके बाद देश की प्रमुख फार्मा कंपनियां सस्ती जनरिक दवाएं बनाने की योजना बना रही हैं।

ऐसे में इस बदलाव से न केवल उपचार की लागत में भारी कमी आएगी बल्कि लाखों की संख्या में मरीजों को इसका लाभ मिलेगा।
दवा की कीमत घटने से मरीजों को राहत
इंडस्ट्री सोर्सेज के अनुसार, 11 मार्च को Boehringer Ingelheim के पेटेंट की समाप्ति के बाद, Empagliflozin की सस्ती जेनेरिक दवा जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगी। यह दवा डायबिटीज से संबंधित बीमारियों, जैसे हार्ट फेलियर के इलाज में सहायक होगी। इतना ही नहीं इसके लॉन्च से लाखों की संख्या में मरीजों को फायदा होगा।
ऐसे में कहा जा सकता है की इस नई जेनेरिक दवा के आने से इलाज की लागत में बड़ी कमी आएगी, जिससे यह इलाज डायबिटिक पेशेंट्स के लिए अधिक सुलभ हो जाएगा। इसके अलावा, यह दवा बीमारी से जुड़ी फाइनेंशियल प्रॉब्लम को कम करने में मदद करेगी, जिससे रोगियों पर आर्थिक दवाब भी घटेगा।
भारतीय कंपनियां लॉन्च करेंगी सस्ती दवाएं
भारत में कई प्रमुख फार्मास्यूटिकल्स कंपनी, जैसे मैनकाइंड फार्मा, टोरेंट, एल्केम, डॉ रेड्डीज और ल्यूपिन, एम्पाग्लिफ्लोज़िन की सस्ती जेनेरिक दवा लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं। मैनकाइंड फार्मा, जो बाजार हिस्सेदारी के हिसाब से देश की चौथी सबसे बड़ी कंपनी है, इस दवा को इनोवेटर की कीमत के 60 रुपये प्रति टैबलेट के मुकाबले बहुत सस्ते दामों पर लॉन्च करने का विचार कर रही है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, Empagliflozin के ज्यादातर जेनेरिक वर्जन की कीमत 9-14 रुपये प्रति टैबलेट के बीच हो सकती है। ऐसे में इस बदलाव से लगभग 20,000 करोड़ रुपये के डायबिटीज थेरेपी मार्केट पर बड़ा असर पड़ेगा, जो 2021 में 14,000 करोड़ रुपये से 43% अधिक है।
भारत में डायबिटीज उपचार में नई क्रांति
बताते चलें की पिछले साल, टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स ने Boehringer Ingelheim से तीन एम्पाग्लिफ्लोज़िन ब्रांड्स को एक्वायर किया। चूंकि देश में पब्लिक हेल्थ से जुड़ी समस्याओं का भारी दबाव है, ऐसे में यह बदलाव भारत के लिए काफी अहम साबित होगा। अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह संघ (International Diabetes Federation) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 10.1 करोड़ लोग डायबिटीज से जूझ रहे हैं, और इनमें से अधिकांश को इलाज के लिए अपनी जेब से पैसे खर्च करने पड़ते हैं।
हालांकि, अब इस स्थिति में काफी बदलाव आने की उम्मीद है। इसका प्रमुख कारण है की भारतीय दवा कंपनियां पेटेंट एक्सपायरी के बाद एम्पाग्लिफ्लोज़िन के अफोर्डेबल जेनेरिक वर्शन के साथ डायबिटीज के ट्रीटमेंट में क्रांति लाने के लिए तैयार हैं।
मैनकाइंड फार्मा और अन्य कंपनियों की बात करें तो वे इस दवा को ओरिजिनल कीमत के एक छोटे हिस्से पर उपलब्ध कराएंगी, जिससे रोगियों पर आर्थिक बोझ कम होगा और उनके हृदय और किडनी संबंधित स्वास्थ्य में सुधार आएगा।
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SUMMARY
भारत में डायबिटीज की महत्वपूर्ण दवा Empagliflozin की कीमत अब 90% तक कम होगी। दरसअल 11 मार्च 2025 को पेटेंट समाप्त होने के चलते यह कदम उठाया गया है। इससे भारतीय कंपनियाँ सस्ती जेनेरिक दवाएं लॉन्च करने की तैयारी में हैं, जिससे डायबिटीज के इलाज की लागत में भारी कमी आएगी। इस बदलाव से लाखों की संख्या में डायबिटिक मरीजों को लाभ मिलेगा और उनके आर्थिक बोझ में भी कमी आएगी।
