अमेरिका में हजारों अप्रवासी परिवारों को अब मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। हाल ही में USCIS ने ग्रीन कार्ड आवेदकों के बच्चों के लिए CSPA सुरक्षा वापस ले ली है। यह बदलाव 15 अगस्त 2025 से लागू हो चुका है। अब बच्चे अपनी उम्र ‘लॉक’ नहीं कर सकेंगे। इसका सीधा असर उन मामलों पर पड़ेगा जहां आवेदन की तारीखों में बदलाव की गुंजाइश थी।

21 के बाद ग्रीन कार्ड मिलना मुश्किल
USCIS ने ग्रीन कार्ड प्रक्रिया को लेकर नियम सख्त कर दिए हैं। अब एलिजिबिलिटी तय करने के लिए सिर्फ फाइनल एक्शन डेट चार्ट को ही मान्यता दी जाएगी। ये तारीखें आमतौर पर काफी आगे की होती हैं। जिससे अब बहुत कम बच्चे CSPA (Child Status Protection Act) के तहत सुरक्षित रह पाएंगे। जैसे ही कोई बच्चा 21 साल का होता है, उसकी उम्र की सुरक्षा खत्म मानी जाएगी। ऐसे में वह ग्रीन कार्ड प्रक्रिया से बाहर हो सकता है।
भारतीय परिवारों पर सीधा असर
यह बदलाव खास तौर पर H-1B वीज़ा पर काम कर रहे भारतीय प्रोफेशनल्स को प्रभावित करेगा। ये वही लोग हैं जो पहले से ही ग्रीन कार्ड की लंबी प्रतीक्षा में हैं। अब उनके बच्चों की कानूनी स्थिति खतरे में पड़ सकती है। ऐसे में कुछ को एडल्ट वीज़ा कैटेगरी में जाना पड़ सकता है, जहां इंतज़ार कई सालों तक चलता है। भले ही ये बच्चे अमेरिका में ही पले-बढ़े हों, लेकिन अब परिवारों को मजबूरी में अलग रहना पड़ सकता है।
कानूनी और मानवीय चुनौती
इमीग्रेशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह फैसला ट्रंप-ऐरा की सख्त नीतियों का ही हिस्सा है। USCIS का तर्क है कि इमिग्रेशन लॉ के अनुसार, सिर्फ 21 साल से कम उम्र के व्यक्ति को ही ‘बच्चा’ माना जाता है। हालांकि, आलोचक इससे सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि यह बदलाव अमेरिका में पले-बढ़े हज़ारों युवाओं की स्थिरता को खतरे में डालता है। 15 अगस्त से पहले जमा किए गए आवेदन पुराने नियमों के तहत ही प्रोसेस होंगे।
हालांकि USCIS ने कुछ विशेष परिस्थितियों में छूट देने की संभावना जताई है। लेकिन इसके नियम अभी स्पष्ट नहीं हैं।
Summary:
अमेरिका में USCIS ने 15 अगस्त 2025 से ग्रीन कार्ड आवेदकों के बच्चों के लिए CSPA सुरक्षा वापस ले ली है। अब 21 साल के बाद बच्चों की उम्र लॉक नहीं होगी, जिससे उन्हें ग्रीन कार्ड प्रक्रिया से बाहर किया जा सकता है। खासकर H-1B वीज़ा पर काम करने वाले भारतीय प्रोफेशनल्स के परिवारों पर इसका गंभीर असर होगा। विशेषज्ञ इसे ट्रंप नीतियों का हिस्सा मानते हैं। यह बदलाव कई भारतीय परिवारों के लिए परेशानी का कारण बन गया है।
