सरकार ने डिजिटल ऋण को विनियमित करने और अवैध ऐप्स से निपटने के लिए एक नया बिल प्रस्तावित किया है। इस बिल में नैतिक लोन प्रैक्टिस को बढ़ावा देने, अवैध ऋणदाताओं की रिपोर्टिंग करने, और उपभोक्ताओं की चिंताओं का समाधान करने के लिए एक केंद्रीय ऑनलाइन डेटाबेस बनाने का प्रस्ताव दिया है, जिसमें केवल ऑथॉरिज़ेड लेंडर शामिल होंगे।

क्या है बिल के मुख्य प्रस्ताव?
रेगुलेटेड ऋणदाताओं का ऑनलाइन डेटाबेस
कस्टमर्स के लिए अनुमोदित ऋणदाताओं की जांच करना आसान बनाने के लिए सरकार एक केंद्रीय ऑनलाइन डेटाबेस बनाने की योजना बना रही है। ताकि वे केवल सर्टिफाइड इंस्टीटूशन्स से ही ऋण प्राप्त कर सकें।
अनियमित डिजिटल ऋण का विनियमन
बिल में रिश्तेदारों को दिए गए ऋण को छोड़कर, मौजूदा कानून के दायरे से बाहर की गतिविधियों को भी शामिल किया गया है।
सार्वजनिक ऋण गतिविधियों की परिभाषा
रिश्तेदारों को दिए गए ऋण को छोड़कर, लाभ के लिए व्यक्तियों या संगठनों को दिए गए ऋण को सार्वजनिक ऋण या पब्लिक लोन माना जाता है।
क्या है RBI की पहल और मुख्य भूमिकाएं?
डिजिटल लेंडिंग ऐप रिपॉजिटरी
RBI ने उपभोक्ताओं को अधिकृत और अनधिकृत डिजिटल लेंडिंग ऐप्स के बीच अंतर करने में मदद के लिए विनियमित संस्थाओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले ऐप्स की एक सार्वजनिक रिपॉजिटरी स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है।
अनधिकृत ऐप्स के खिलाफ कार्रवाई
इसके साथ ही साल 2021 से 2023 के बीच, Google ने सरकारी निर्देशों का पालन करते हुए अपने Play Store से हजारों अनधिकृत लोन सम्बंधित App रिमूव कर दिए थे।
डिजिटल ऋण पारदर्शिता के लिए सरकार का महत्वपूर्ण कदम
बताते चलें की सरकार द्वारा इन प्रस्तावित केंद्रीय संग्रह का मुख्य उद्देश्य डिजिटल ऋण लेनदेन में पारदर्शिता लाना और एथिकल लेंडिंग प्रोसेस को प्रोत्साहित करना है। नांगिया एंडरसन इंडिया के डायरेक्टर रेगुलेटर मयंक अरोड़ा ने यह बताते हुए कहा कि फिजिकल कांटेक्ट की कमी के कारण उपभोक्ता असली ऋणदाताओं से अपरिचित रहते हैं। ऐसे में अनियमित संस्थाएँ इस बात का लाभ उठाती हैं।
ऐसे में यह कहा जा सकता है की यह नया बिल सरकार की उपभोक्ता सुरक्षा और डिजिटल ऋण प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। साथ ही, इसका उद्देश्य अन ऑथॉरिज़ेड इंस्टीटूशन्स पर कण्ट्रोल कर एक रेगुलेटेड फ्रेमवर्क स्थापित करना है।
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SUMMARY
सरकार ने डिजिटल ऋण को विनियमित करने और अवैध ऐप्स से निपटने के लिए एक नया बिल प्रस्तावित किया है। इसमें एक केंद्रीय डेटाबेस बनाने का प्रस्ताव है, जिसमें केवल प्रमाणित ऋणदाता होंगे। RBI द्वारा डिजिटल लेंडिंग ऐप्स की रिपॉजिटरी स्थापित करने का भी प्रस्ताव है। यह बिल उपभोक्ता सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से एक रेगुलेटेड फ्रेमवर्क स्थापित करेगा।
