हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) एक महत्वपूर्ण बदलाव करने जा रही है। यह न केवल भारत की इकलौती फाइटर एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी बल्कि डिफेंस ऑर्डर बुकिंग में भी सबसे आगे है।
बता दें कि HAL छह दशक बाद ऑर्गेनाइज़ेशनल स्ट्रक्चर में कुछ अपडेट कर रही है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, डिफेन्स मिनिस्टेरी ने इस प्रोजेक्ट के लिए बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) को हायर किया है। BCG मार्च 2026 तक एक इसके लिए एक डिटेल्ड रीस्ट्रक्चरिंग रोडमैप तैयार करेगा।

HAL पर कई प्रोजेक्ट्स का दबाव
HAL के पास इस समय ₹2.52 लाख करोड़ के कन्फर्म ऑर्डर हैं। माना जा रहा है की ये कंपनी के FY25 के टर्नओवर से करीब आठ गुना ज़्यादा है। इसके बावजूद HAL कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है। जैसे-
• 83 तेजस Mk1A फाइटर जेट
आर्डर वैल्यू – ₹36,400 करोड़
• 156 प्रचंड लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर
आर्डर वैल्यू – ₹62,700 करोड़
• 240 Su-30MKI इंजन
लाइसेंस प्रोडक्शन
• ALH ध्रुव और Do-228 हेलीकॉप्टर
यूनिट्स मैन्युफैक्चरिंग
• पुराने जगुआर और मिराज-2000 जेट
मेंटेनेंस
• 25 से ज़्यादा पैरेलल ओवरहॉल लाइनें
हालांकि देशभर में नौ मैन्युफैक्चरिंग डिवीज़न होने के बावजूद HAL के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। ऐसे में ये साफ है कि बिना ऑर्गेनाइज़ेशनल स्ट्रक्चर के, समय पर डेडलाइन पूरी करना मुश्किल है।
HAL में रीस्ट्रक्चरिंग क्यों जरूरी है?
HAL की रीस्ट्रक्चरिंग की शुरुआत AMCA (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) प्रोटोटाइप टेंडर से हुई। दरअसल HAL को वर्कलोड के कारण इस टेंडर से बाहर कर दिया गया था। ऐसा करने के पीछे साउथ ब्लॉक का मैसेज स्पष्ट था – सिस्टम की कमियों को ठीक करो या फ्यूचर फाइटर प्रोजेक्ट्स गंवा दो।”
इस निर्णय पर सीनियर ऑफिशियल्स ने भी अपनी राय रखी कहा है। उन्होंने कहा कि इस रीस्ट्रक्चरिंग का उद्देश्य डिसइन्वेस्टमेंट नहीं बल्कि रिवाइटलाइजेशन है। ऐसे में इस कदम से HAL को फिर से मजबूती मिलेगी।
HAL रीस्ट्रक्चरिंग में BCG के सुझाव
HAL का फाइनल रीस्ट्रक्चरिंग ब्लूप्रिंट 2026 तक आने की उम्मीद है। लेकिन कुछ खास सुझाव पहले ही सामने आ रहे हैं। इसमें शामिल है-
1. प्लेटफॉर्म-बेस्ड वर्टिकल
HAL अपनी जियोग्राफी-बेस्ड मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को प्लेटफॉर्म-सेंट्रिक प्रॉफिट सेंटर में बदल सकता है। फाइटर, हेलीकॉप्टर, इंजन, ट्रांसपोर्ट और अपग्रेड्स जैसे सेक्शन अलग-अलग प्रॉफिट सेंटर बन सकते हैं।
2. कॉम्बैट एयरक्राफ्ट डिवीजन
यह डिवीजन भविष्य में फाइटर जेट बनाने वाली प्राइवेट कंपनियों से कम्पीट करने के लिए अलग किया जाएगा।
3. नॉन-कोर यूनिट्स अलग करना
ट्रांसपोर्ट और ट्रेनर एयरक्राफ्ट लाइनों को सब्सिडियरी या जॉइंट वेंचर में शिफ्ट किया जा सकता है।
4. डेलीगेशन
डिवीजन हेड्स को वेंडर पेमेंट और कैपेक्स अप्रूवल के लिए ज्यादा फाइनेंशियल अथॉरिटी मिल सकती है।
5. प्राइवेट सेक्टर को ज्यादा आउटसोर्सिंग
इस रीस्ट्रक्टरिंग के तहत टाटा, महिंद्रा और भारत फोर्ज जैसे सप्लायर्स सब-असेंबली का काम संभालेंगे।
भारत की एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री के लिए निर्णायक पल
अधिकारियों का कहना है कि HAL भारत की एयरोस्पेस बैकबोन बनी रहेगी। हालांकि इसे पुराने 1960 के लाइसेंस प्रोडक्शन सिस्टम से बदलना होगा। साथ ही, HAL को एक मॉडर्न और दुनियाभर में कॉम्बैट एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरर बनाना होगा। एक ऐसी कंपनी जो 2035 तक फिफ्थ जनरेशन के फाइटर जेट बना सके। ऐसे में BCG के ओवरहॉल से HAL को नया स्ट्रक्चर मिल सकता है।
Summary:
HAL लगभग 60 सालों बाद अपना ऑर्गेनाइज़ेशनल ट्रांसफॉर्मेशन करने जा रही है। रक्षा मंत्रालय ने BCG को रीस्ट्रक्चरिंग रोडमैप बनाने के लिए हायर किया है।
फिलहाल HALपर प्रोजेक्ट्स का दबाव है। बिना अपडेटेड स्ट्रक्चर से समय पर डिलीवरी मुश्किल है। रीस्ट्रक्चरिंग में प्लेटफॉर्म-बेस्ड डिवीज़न, कॉम्बैट एयरक्राफ्ट डिवीजन और आउटसोर्सिंग शामिल हैं। इससे HAL मजबूत, आधुनिक और भविष्य के फाइटर प्रोजेक्ट्स के लिए तैयार होगी।
