क्या सरकारी बैंक हटाने जा रहे हैं Minimum Balance नियम? जानें पूरा अपडेट!


Bhawna Mishra

Bhawna Mishra

Jul 11, 2025


भारत के कई पब्लिक सेक्टर बैंक बैंकिंग नियमों में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में हैं। सेविंग्स अकाउंट में मिनिमम बैलेंस की शर्त पर अब दोबारा विचार हो रहा है। कुछ बैंक इस मामले में पहले ही सक्रिय हो गए हैं। केनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक और इंडियन बैंक जैसे प्रमुख बैंकों ने मिनिमम बैलेंस न रखने पर लगने वाली पेनल्टी हटा दी है। 

आइए समझते हैं कि इस बदलाव के पीछे क्या कारण हैं? और इसका क्या असर पड़ सकता है।

इस बदलाव की शुरुआत कैसे हुई?

बता दें कि यह फैसला वित्त मंत्रालय के साथ हुई चर्चा के बाद लिया गया है। इस दौरान ग्राहकों पर पेनल्टी लगाने को लेकर कई सवाल उठे थे। खासकर जब बैंक डिपाजिट में करंट और सेविंग अकाउंट्स (CASA) का हिस्सा कम हो रहा है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपनी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में इस पहलू को महत्वपूर्ण बताया। 

रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों का लायबिलिटी स्ट्रक्चर अब हाई कॉस्ट वाली सर्टिफिकेट ऑफ़ डिपॉजिट (CD) की ओर बढ़ रहा है। इससे बैंकिंग सिस्टम पर असर पड़ सकता है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने इस बदलाव पर चिंता जताई है।

SBI ने बनाई नई मिसाल

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने 2020 में मिनिमम बैलेंस रखने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया। दरअसल यह फैसला जनता की आलोचना के बाद आया। एक RTI से पता चला था कि मिनिमम बैलेंस न रखने पर वसूला गया शुल्क, SBI के नेट प्रॉफिट से भी ज्यादा था। यह बात ग्राहकों और पॉलिसी मेकर्स दोनों के लिए चिंता का विषय बनी। 

SBI के इस कदम ने अन्य पब्लिक सेक्टर बैंकों को भी अपनी नीतियां बदलने के लिए प्रेरित किया। 

जन धन खाते बदल रहे बैंकिंग की दिशा

देखा जाए तो ये बदलाव जन धन खातों के डेटा की वजह से हुए है। शुरुआत में ये अकाउंट इनएक्टिव थे, यानी जीरो बैलेंस पर रहते थे। लेकिन अब इन खातों में धीरे-धीरे पैसे जमा हो रहे हैं। यह दिखाता है कि लोग बिना पेनल्टी के भी पैसे बचा रहे हैं। 

पॉलिसी मेकर्स इस बदलाव को ध्यान में रखते हुए सुधार कर रहे हैं।

डिजिटल बैंकिंग से खर्चों में आई कमी

बता दें कि पहले बैंकमिनिमम बैलेंस की जरूरत को सही ठहराते थे। लेकिन अब डिजिटल बैंकिंग के कारण खर्च कम हो गया है। डिजिटल तकनीक से बैंक के ऑपरेटिंग कॉस्ट में कमी आई है। इसलिए बैंक अब ग्राहकों पर ज्यादा बोझ नहीं डालना चाहते। इसके बजाय, वे डेबिट कार्ड फीस और ट्रांजैक्शन शुल्क जैसे तरीके अपना रहे हैं। 

इससे न केवल बैंक को लाभ हो रहा है बल्कि ग्राहक भी खुश हैं।

प्राइवेट बैंक अभी भी Relationship-Based मॉडल पर निर्भर

जहां एक ओर पब्लिक बैंक नियमों में ढील दे रहे हैं। वहीं प्राइवेट बैंक अभी भी मिनिमम बैलेंस की जरूरत बनाए रखे हुए हैं। हालांकि, सैलरी अकाउंट्स और हाई नेट वर्थ वाले व्यक्तियों को छूट मिलती है। ये लोग मुख्य रूप से FD और म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं।

Summary

भारत के पब्लिक सेक्टर बैंक मिनिमम बैलेंस नियमों में बदलाव कर रहे हैं। कई प्रमुख बैंकों ने जुर्माना हटा लिया है, जिससे बैंकिंग सिस्टम में बड़ा बदलाव हो रहा है। SBI ने 2020 में इस पेनल्टी को खत्म किया था। अब इस कदम का प्रभाव अन्य बैंकों पर भी दिख रहा है। डिजिटल बैंकिंग के कारण कुछ खर्चों में कमी आई है। वहीं, प्राइवेट बैंक पुराने मॉडल पर कायम हैं।


Bhawna Mishra
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She is a seasoned writer with a passion for Storytelling and a keen interest in diverse topics. With 2.5 years of experience, she excels in writing about Tech, Sports, Entertainment, and various Niche topics. Bhawna holds a Postgraduate Degree in Journalism and Mass Communication from St Wilfred’s College of Jaipur.

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