क्या FASTag की जगह लेगा GNSS? यहां जानिए कैसे काम करेगी यह नई Toll तकनीक!


Bhawna Mishra

Bhawna Mishra

Sep 02, 2024


भारत में टोल संग्रह प्रणाली एक बड़े बदलाव के कगार पर है। RFID तकनीक के माध्यम से टोल भुगतान में क्रांति लाने वाले FASTag को अब ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) नामक एक और भी अधिक विकसित सिस्टम के साथ जोड़ने की तैयारी चल रही हैं। 

यह नई तकनीक FASTag की कमियों को दूर करने और अधिक कुशल और निष्पक्ष टोल संग्रह को सक्षम करने का वादा करती है। ऐसे में आज के इस आर्टिकल में, हम अक्सर पूछे जाने वाले 5 प्रमुख प्रश्नों पर गौर करेंगे जो आपको यह समझने में मदद करेंगे कि GNSS भारत में टोल संग्रह प्रणाली में कैसे बदलाव लाएगा।

1. GNSS क्या है और यह कैसे काम करता है?

GNSS का मतलब ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है। FASTag के विपरीत, जो निश्चित टोल और RFID तकनीक पर निर्भर करता है, GNSS वास्तविक समय में वाहन की गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए सेटलाइट का उपयोग करता है। यह टोल रोड पर वाहन द्वारा तय की गई सटीक दूरी के आधार पर टोल कैलकुलेट करता है। जिसके बाद टोल की राशि वाहन के रजिस्ट्रेशन से जुड़े डिजिटल वॉलेट से अपने आप डेबिट हो जाती है।

2. FASTag को क्यों बदला जा रहा है?

FASTag ने टोल कलेक्शन को सरल बनाने के साथ ही नकद लेनदेन को भी कम कर दिया है, हालांकि टोल प्लाजा पर ओवरचार्जिंग, टोल चोरी और लगातार ट्रैफिक जाम जैसे कुछ लिमिटेशन हैं। ऐसे में GNSS अधिक सटीक, दूरी-आधारित टोलिंग सिस्टम प्रदान करके, फिजिकल टोल बूथ की आवश्यकता को समाप्त करता है। इसके साथ ही यह टोल चोरी की संभावना को कम करके इन मुद्दों का समाधान करता है।

3. ड्राइवरों के लिए GNSS के क्या लाभ हैं?

ट्रेडिशनल टोल बूथों को खत्म के साथ ही यह भीड़भाड़ और प्रतीक्षा समय को कम करके, GNSS परेशानी मुक्त टोल कलेक्शन सुनिश्चित करती है। चूँकि टोल यात्रा की गई वास्तविक दूरी पर आधारित होते हैं, ड्राइवर केवल सटीक सड़क उपयोग के लिए भुगतान करते हैं। साथ ही छोटी यात्राओं के लिए अधिक शुल्क देने से बचते हैं। ऐसे में यह सिस्टम एक निष्पक्ष और अधिक कुशल टोल कलेक्शन प्रोसेस सुनिश्चित करती है।

4. GNSS से सरकार को क्या लाभ होगा?

सरकार के लिए, GNSS टोल एकत्र करने का एक सुरक्षित और अधिक कुशल तरीका प्रदान करता है। इससे टोल चोरी की संभावना काफी कम हो जाएगी, जो मौजूदा सिस्टम में एक बड़ी समस्या है। इसके अतिरिक्त, GNSS के माध्यम से एकत्र किए गए डेटा का उपयोग यातायात प्रबंधन और बुनियादी ढांचे की योजना को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है, जो जो ट्रैफ़िक पैटर्न और सड़क उपयोग के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करता है।

5. भारत में GNSS के लिए रोलआउट योजना क्या है?

भारत सरकार GNSS को चरणबद्ध तरीके से पेश करने की योजना बना रही है, जिसकी शुरुआत एक हाइब्रिड मॉडल से होगी, जो GNSS को मौजूदा फास्टैग सिस्टम में एकीकृत करेगा। 

शुरुआत में, कुछ चुनिंदा टोल प्लाज़ा में GNSS-सक्षम लेन में शामिल होंगी। जैसे-जैसे तकनीक में सुधार होगा, यह अंततः देश भर के सभी टोल बूथों की जगह ले लेगा। सरकार ने पहले ही दो प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों पर GNSS की टेस्टिंग शुरू कर दी गई है, जिसमें कर्नाटक में बैंगलोर-मैसूर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-275) और हरियाणा में पानीपत-हिसार राष्ट्रीय राजमार्ग (NH709) शामिल हैं।


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She is a seasoned writer with a passion for Storytelling and a keen interest in diverse topics. With 2.5 years of experience, she excels in writing about Tech, Sports, Entertainment, and various Niche topics. Bhawna holds a Postgraduate Degree in Journalism and Mass Communication from St Wilfred’s College of Jaipur.

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