आजकल फ्रेशर्स ज्यादा कमाते हैं हालांकि उनके खर्चे भी उतने ही अधिक रहते हैं। लेकिन क्या ये खर्च उनके नियंत्रण में है? बिजली व किराने के सामान से लेकर किराये तक, अधितकर फ्रेशर्स के खर्चें हमेशा उनकी आय से अधिक होते है।

लेकिन हाल ही में एंट्री लेवल जॉब्स के समय सैलरी में हाइक देखने को मिल रही है, आइए नजर डालते हैं ऐसी एक रिपोर्ट पर-
एंट्री लेवल जॉब्स की सैलरी में हुई हाइक
पिछले पांच वर्षों में, पएंट्री लेवल जॉब्स की सैलरी में काफी वृद्धि देखने को मिली है। फाउंडिट के अनुसार, इस अवधि के दौरान औसत वेतन 3, 00,000 रुपये से बढ़कर 600,000 रुपये प्रति वर्ष हो गया है। ब्रीज़ बेस्ड बिजनेस इंटेलिजेंस की सीनियर वाईस प्रेसिडेंट- चित्रा सोम्बर्वी ने कहा, “21 से 30 वर्ष की आयु के कर्मचारियों के वेतन में 25-33% की महत्वपूर्ण वृद्धि देखी जा रही है।”
इस वृद्धि में कई व्हाइट-कॉलर नौकरियां और अन्य इंडस्ट्रीज शामिल हैं। फाउंडिट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शेखर गरिसा ने कहा, “पिछले तीन वर्षों में, फ्रेशर्स के लिए मिनिमम और मैक्सिमम सैलरी में लगातार वृद्धि हुई है।”
Foundit के CEO चन्द्र शेखर गरीसा ने बताया, “पिछले तीन वर्षों में, प्रवेश स्तर के पेशेवरों के लिए औसत न्यूनतम और अधिकतम वेतन में हाइक हुई है। उन्होंने आगे कहा कि IT, डिजिटल मार्केटिंग और ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्रों में खासतौर पर यह सैलरी ग्रोथ देखने को मिली है।”
मेट्रो शहरों में क्या है कॉस्ट ऑफ लिविंग?
शहरों, खासकर मेट्रो शहरों में, जीवनयापन की लागत तेजी से बढ़ी है। फ्रेशर्स विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग तरह से प्रभावित हो सकते हैं। इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन की निदेशक सुचिता दत्ता ने कहा, “बेस-लेवल वेतन में वृद्धि हुई है, हालांकि बढ़ती हुई महंगाई इसमें शामिल नई होती हैं। “
2024 में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे प्रमुख शहरों में शुरुआती किराया 15,000 रुपये से 20,000 रुपये प्रति माह के बीच होगा। आमतौर पर, आपके वेतन का 1% हाउस रेंट अलाउंस में जाता है। हालांकि, कई शहरों में HRA आपके द्वारा भुगतान किए जाने वाले रेंट से कम होता है। साम्ब्रोई के अनुसार, चेन्नई जैसे शहरों में सब्सिडी और किराए के बीच का अंतर 12 % तक बढ़ गया है।
ऐसे में अपने खर्चों को कम करने के लिए आप एक इंवेस्टमनेट प्लान बना सकते है। इसके लिए SIP में निवेश करना एक अच्छा कदम है।
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SUMMARY
फ्रेशर्स की वेतन वृद्धि बढ़ी है, लेकिन खर्च भी बहुत अधिक हो रहे हैं। बिजली, किराना, किराया जैसे खर्चे आय से अधिक हैं। फाउंडिट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में एंट्री लेवल सैलरी 3,00,000 से बढ़कर 6,00,000 रुपये हुई है। इसमें खास तौर पर IT, डिजिटल मार्केटिंग, ई-कॉमर्स क्षेत्रों में वृद्धि देखी गई हैं। हालांकि मेट्रो शहरों मेंकॉस्ट ऑफ लिविंग भी तेजी से बढ़ी है, जिससे वेतन वृद्धि का लाभ भी लिमिटेड हो रहा है।
