सरकार ने हाल ही में EPFO सब्सक्राइबर्स को बड़ी खुशखबरी दी है। आपको बता दें, अब एम्प्लॉयीज अपने प्रॉविडेंट फंड अकाउंट (PF) से एक बार में 1 लाख रुपये तक निकाल सकते हैं। लेबर मिनिस्टर मनसुख मंडाविया ने इस बारे में जानकारी देते हुए घोषणा की हैं की प्रॉविडेंट फंड (PF) निकासी की लिमिट अब 50,000 से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी है। इस नियम के अनुसार, अब EPFO स्कीम के सदस्य अपनी बढ़ती व्यक्तिगत वित्तीय जरूरतों जैसे शादियों, चिकित्सा खर्चों और इमरजेंसी को पूरा करने के लिए इस राशि का प्रयोग कर सकते हैं।

क्या है EPFO की ये नई गाइडलाइन?
बताते चलें की EPFO के इस नए नियम के तहत, नए कर्मचारी अब छह महीने की नौकरी पूरी करने से पहले ही अपने PF अकाउंट से पैसे निकाल सकते हैं। इसका मतलब यह है कि इन कर्मचारियों को आपात्कालीन स्थिति में वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए लंबे समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। लेबर मिनिस्टरी ने ईपीएफओ के लिए एक नया डिजिटल स्ट्रक्चर और अपडेटेड ऑपरेशनल गाइडलाइन भी लॉन्च की है, जिससे सिस्टम की दक्षता में सुधार होगा और सब्सक्राइबर्स को किसी भी तरह की असुविधाओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
प्राइवेट कंपनी EPFO में कर सकेंगी स्विच
इस बदलाव के तहत, अब सरकार ने EPFO का हिस्सा नहीं होने वाले संगठनों को EPFO में स्विच करने से छूट दी है। ऐसे में इस नियम के अंतर्गत अब उन प्राइवेट कंपनियों के लिए भी दरवाज़े खुल गए हैं, जो स्वयं का रिटायरमेंट फंड चलाती हैं। आदित्य बिड़ला लिमिटेड सहित इनमें से सत्रह कंपनियों ने स्थिर और बेहतर रिटर्न का वादा करते हुए ईपीएफओ में शामिल होने में रुचि दिखाई है। यह परिवर्तन निजी योजनाओं वाले संगठनों को सरकार द्वारा रिटायरमेंट सेविंग मैनेजमेंट से लाभ उठाने की अनुमति देता हैं।
PF और ESIC कंट्रीब्यूशन
इन सभी बदलावों के अतरिक्त इस समय अनिवार्य प्रॉविडेंट फंड के लिए कंट्रीब्यूशन के लिए सैलरी लिमिट बढ़ाने की योजना है, जो वर्तमान में ₹15,000 निर्धारित है। इस वृद्धि से हाई सैलरी वाले कर्मचारी अपनी इनकम का एक बड़ा हिस्सा रिटायरमेंट सेविंग्स में योगदान कर सकेंगे। इसके अलावा, कर्मचारी राज्य बीमा (ESI) योगदान सीमा, जो वर्तमान में 21,000 रुपये है, को कर्मचारी लाभों में और सुधार करने के लिए बढ़ाए जाने की उम्मीद है।
रिटायरमेंट योजना के तहत मिलेगी छूट
सरकार की नई प्रॉविडेंट फंड नीति के तहत, अब ₹15,000 से अधिक कमाने वाले कर्मचारी यह तय कर सकेंगे कि वे अपनी आय का कितना हिस्सा रिटायरमेंट और पेंशन लाभों के लिए अलॉट करना चाहते हैं। इस फ्लेक्सिबल प्रणाली का उद्देश्य कर्मचारियों के लिए स्थिर सेविंग सुनिश्चित करना है। ऐसे में इन नए नियमों से लाखों कर्मचारियों की वित्तीय सुरक्षा में निश्चित तौर पर सुधार होगा।
