देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे है। नेशनल हाईवे फॉर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (NHEV) प्रोग्राम के तहत 5,500 किलोमीटर नेशनल हाईवे को ई-हाईवे में अपग्रेड किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर तैयार किया जा रहा है।
इतना ही नहीं, दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-कोलकाता और कोलकाता-कन्याकुमारी जैसे रूट्स को वर्ल्ड क्लास EV इंफ्रास्ट्रक्चर से जोड़ा जाएगा।

National Highway पर EV चार्जिंग और रियल टाइम असिस्टेंस
NHEV योजना के तहत हाईवे पर मजबूत चार्जिंग और रोडसाइड अस्सिटेंस सिस्टम तैयार किया जा रहा है। प्रोग्राम डायरेक्टर अभिजीत सिन्हा के मुताबिक, हर 50 km पर एक स्टेशन बनाया जाएगा। हर स्टेशन में 3,200 kWh क्षमता के 36 चार्जर होंगे। साथ ही EV सर्विस सेंटर, साफ-सुथरे टॉयलेट, लाउंज और फूड कोर्ट की भी सुविधा मिलेगी।
अगर किसी व्हीकल में खराबी आती है, तो 30 मिनट के अंदर रोडसाइड अस्सिटेंस सिस्टम और एम्बुलेंस की सुविधा शुरू हो जाएगी।
स्मार्ट तकनीक से लैस होंगे भारत के ई-हाईवे
ई-हाईवे की बात की जाए इसमें ‘ई’ का मतलब इलेक्ट्रॉनिक से है। इन सड़कों को स्मार्ट बनाने के लिए IoT बेस्ड V2X तकनीक से इंटीग्रेट किया जा रहा है। इसमें कैमरे और सेंसर लगाए जाएंगे, जो ट्रैफिक मॉनिटरिंग, लीगल सिस्टम और इमरजेंसी रिस्पॉन्स को बेहतर बनाएंगे। जर्मनी के ओवरहेड वायर सिस्टम के उलट, भारत का मॉडल चार्जिंग स्टेशनों पर आधारित होगा। इसे पूरी तरह एडवांस और भविष्य को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया जा रहा है।
NHEV स्टेशन बनेंगे एम्प्लॉयमेंट और बिजनेस सेंटर
बताते चलें की हर NHEV (नेशनल हाईवे फॉर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) स्टेशन केवल चार्जिंग पॉइंट नहीं होंगे। बल्कि यह एक लॉजिस्टिक सेंटर के रूप में भी काम करेंगे। इससे 50 km के दायरे में लास्ट माइल डिलीवरी संभव हो सकेगी। वही लोकल प्रोडक्ट्स के लिए भी जगह मिलेगी। ऐसे में इस मॉडल से खासकर सेमी-अर्बन और ग्रामीण इलाकों में रोजगार के नए अवसर को बढ़ावा देगा।
सब्सिडी-फ्री, स्मार्ट और प्रॉफिटेबल मॉडल
यह प्रोजेक्ट पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर डिज़ाइन किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट की ओनरशिप की बात की जाए तो यह सरकार, प्राइवेट कंपनियों और इन्वेस्टर्स के बीच शेयर की जाएगी। हर स्टेशन की कॉस्ट ₹40–50 करोड़ के बीच होगी। इसके अलावा चार्जिंग, लॉजिस्टिक्स, रिटेल और एडवरटाइजमेंट से इनकम जनरेट होगी। उम्मीद है कि 40 महीनों में हर स्टेशन ब्रेक-ईवन लेवल पर होगा। जिसके बाद स्टेशन को किसी सरकारी सब्सिडी की आवश्यकता नहीं होगी।
भारत का EV लक्ष्य: 2030 तक बड़ा बदलाव
भारत ने 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा है। प्राइवेट कारों में 30%, कमर्शियल वाहनों में 70% और टू-व्हीलर तथा थ्री-व्हीलर में 80% EV के उपयोग को सुनिश्चित किया जाएगा। जून 2025 तक EV सेल्स में सालाना 29% की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। ई-हाईवे प्रोजेक्ट से खास तौर पर कमर्शियल व्हीकल के लिए परेशानियां कम होगी। देखा जाए तो इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य चार्जर और EV के अंतर को कम करना है।
फ़िलहाल भारत में चार्जर और EV का यह रेशियो लगभग 1:235 है। जबकि वैश्विक स्तर पर यह 1:7 से 1:15 के बीच है।
Summary:
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए NHEV प्रोजेक्ट के तहत 5,500 किमी नेशनल हाईवे को स्मार्ट ई-हाईवे में बदला जाएगा। हर 50 किमी पर चार्जिंग स्टेशन, रोडसाइड असिस्टेंस और सुविधाएं उपलब्ध होंगी। यह पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर आधारित है। इस पहल से रोजगार और कारोबार को बढ़ावा मिलेगा। 2030 तक EV सेक्टर में तेजी से बदलाव देखने को मिलेगा।
