खाद्य तेलों की कीमतों में मिलेगी बड़ी राहत! सरकार ने खाद्य तेल कंपनियों के Retail Rates बढ़ाने पर लगाई रोक


Bhawna Mishra

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Sep 21, 2024


महंगाई पर अंकुश लगाने और त्योहारी सीजन के दौरान परिवारों को राहत देने के लिए, सरकार ने आयात शुल्क में हालिया बढ़ोतरी के बाद खाद्य तेल कंपनियों से कहा की वे खुदरा कीमतों में वृद्धि न करें। सरकार ने इसका कारण खाद्य तेलों के पर्याप्त स्टॉक की उपलब्धता को बताया हैं, जिन्हें कम कीमतों पर भेजा जाता है। इसके अतिरिक्त, खाद्य मंत्रालय ने कहा कि आयात का स्टॉक कम कॉस्ट पर पर आसानी से 45-50 दिनों तक चल सकता है, ऐसे में प्रोसेसिंग कंपनी को अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) बढ़ाने से बचना चाहिए।

खाद्य तेलों की कीमतों में मिलेगी बड़ी राहत! सरकार ने खाद्य तेल कंपनियों के Retail Rates बढ़ाने पर लगाई रोक

बता दें, पिछले हफ्ते, केंद्र ने घरेलू तिलहन कीमतों को समर्थन देने के लिए सभी प्रकार के खाद्य तेलों पर बुनियादी सीमा शुल्क बढ़ा दिया था।

खाद्य तेलों पर बढ़ा आयात शुल्क

14 सितंबर 2024 से प्रभावी, सोयाबीन तेल, कच्चे पाम तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल के लिए आधार टैरिफ दर शून्य से 20% है, वही कच्चे तेल के लिए प्रभावी टैरिफ दर 27.5 प्रतिशत हो गया है। इसके अलावा, रिफाइंड पाम तेल, रिफाइंड सूरजमुखी तेल और रिफाइंड सोयाबीन तेल पर मूल शुल्क दर 12.5% ​​​​से बढ़कर 32.5% हो गया हैं। जिससे कुल शुल्क 35.75% हो गया हैं।

इस संबंध में मंगलवार को खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA), इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IVPA) और सोयाबीन ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (SOPA) के प्रतिनिधियों के साथ मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा की। बैठक में प्रमुख खाद्य तेल संघों को आयत किए गए तेल स्टॉक की उपलब्धता तक, MRP को पुराने सीमा शुल्क दरों पर बनाए रखने की सलाह दी गई।

एक बयान में कहा गया कि केंद्र सरकार के पास आयातित खाद्य तेलों का लगभग 30 लाख टन स्टॉक कम शुल्क पर उपलब्ध है, जो 45 से 50 दिनों की घरेलू कंसम्पशन के लिए पर्याप्त है। इसके साथ ही, भारत अपनी घरेलू मांग (Domestic Demand)  के लिए 50% से अधिक आयात पर निर्भर करता है। 

क्या हैं आयात शुल्क में वृद्धि का उद्देश्य?

खाद्य मंत्रालय ने कहा कि आयात शुल्क बढ़ाने का निर्णय घरेलू तिलहन किसानों को प्रोत्साहित करने के सरकार के चल रहे प्रयासों का हिस्सा है, खासकर जब अक्टूबर 2024 से नई सोयाबीन और मूंगफली की फसलें बाजार में आएंगी।

मंत्रालय ने कहा, ”इस स्थिति के कारण सस्ते कच्चे तेल के आयात में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसके कारण घरेलू कीमतों पर दबाव पड़ा है। ऐसे में आयातित खाद्य तेलों की लागत बढ़ाकर, इन उपायों का उद्देश्य घरेलू तिलहन कीमतों को बढ़ाना, उत्पादन में वृद्धि का समर्थन करना और यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को उनकी फसलों का उचित मुआवजा मिले।

बताते चलें की भारत में मुख्य रूप से मलेशिया और इंडोनेशिया से पाम ऑयल इम्पोर्ट किया जाता हैं। जबकि ब्राजील और अर्जेंटीना से सोयाबीन तेल आयात किया जाता है। वही सूरजमुखी का तेल मुख्य रूप से रूस और यूक्रेन से आता है।


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She is a seasoned writer with a passion for Storytelling and a keen interest in diverse topics. With 2.5 years of experience, she excels in writing about Tech, Sports, Entertainment, and various Niche topics. Bhawna holds a Postgraduate Degree in Journalism and Mass Communication from St Wilfred’s College of Jaipur.

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