भारत की इथेनॉल फ्यूल पॉलिसी से जुड़ी एक अहम जानकारी सामने आई है। हाल ही में राजधानी दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई, इसमें SIAM (सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स) और ARAI (ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया) के अधिकारियों ने कई महत्वपूर्ण बातें साझा कीं गई।

उन्होंने स्पष्ट किया कि व्हीकल मैन्युफैक्चरर अपनी वारंटी और इंश्योरेंस टर्म का पालन करेंगे। यह नियम E20 फ्यूल यानी 20% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के उपयोग पर भी लागू होगा।
E20 फ्यूल से वारंटी या बीमा पर कोई असर नहीं
बता दें कि कुछ समय पहले कुछ वाहन कंपनियों ने ग्राहकों को E20 फ्यूल इस्तेमाल न करने की सलाह दी थी। इससे कई व्हीकल ओनर के बीच चिंता बढ़ गई थी। हालांकि अब SIAM और ARAI ने साफ कर दिया है कि E20 फ्यूल इस्तेमाल करने पर वाहन की वारंटी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके साथ ही, इंश्योरेंस पॉलिसी में भी कोई बदलाव नहीं होगा।
इस बीच व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों ने भरोसा दिलाया है कि ग्राहकों की सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। वही मारुति सुजुकी ने भी कहा है कि उसके सर्विस सेंटरों में अब तक इथेनॉल से जुड़ी कोई टेक्निकल प्रॉब्लम सामने नहीं आई है।
फ्यूल एफिशिएंसी के मुद्दे पर सरकार ने जताया भरोसा
इस समय लोगों के बीच सबसे बड़ी चिंता का विषय फ्यूल एफिशिएंसी में लगातार हो रही गिरावट है। इथेनॉल फ्यूल के संबंध में कई लोग शिकायत कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे गाड़ियों की माइलेज पर असर पड़ रहा है। सरकारी अधिकारियों ने इन चिंताओं को गंभीरता से लिया है। उन्होंने माना कि कुछ मामलों में यह समस्या देखी गई है। जिसके समाधान के लिए ARAI (ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया) तकनीकी स्तर पर काम कर रहा है।
सरकार का लक्ष्य है कि पर्यावरण भी सुरक्षित रहे और उपभोक्ताओं को भी किसी तरह की परेशानी न हो।
2026 तक E20 रोडमैप रहेगा लागू
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) ने बताया है कि E20 रोडमैप अक्टूबर 2026 तक जारी रहेगा। इसके बाद अगला फैसला कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर निर्भर करेगा। इसमें तकनीकी और पर्यावरणीय अध्ययनों के साथ औटोमकेर्स, पॉलिसी मेकर्स और रिसर्च इंस्टीटूशन की राय भी शामिल होगी। यह एक ‘फेज्ड स्ट्रेटेजी’ का हिस्सा है।
Ethanol मिश्रण से किसानों को लाभ
रिपोर्ट्स की माने तो तकनीकी चुनौतियों के बावजूद, इथेनॉल ब्लेंडिंग से देश को कई आर्थिक और सामाजिक फायदे मिले हैं। सरकार के अनुसार, इस योजना के तहत गन्ने का बकाया चुका दिया गया है। साथ ही, मक्के की खेती को बढ़ावा मिला है। कई राज्यों में किसानों की आर्थिक हालत में सुधार आया है। इससे न केवल किसानों का संकट कम हुआ है बल्कि आत्महत्या से जुड़ें मामलों में गिरावट दर्ज की गई है।
ऐसे में कहा जा सकता है कि यह बदलाव ग्रामीण इलाकों में आर्थिक सुधार लाने में मददगार रहा है। बता दें कि 2014-15 से अब तक, भारत ने 245 लाख मीट्रिक टन क्रूड ऑइल की जगह इथेनॉल का इस्तेमाल किया है। इससे लगभग ₹1.44 लाख करोड़ की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है।
Ethanol महंगा होने के बाद भी क्यों नहीं बढ़ीं पेट्रोल की कीमतें?
बताते चलें कि इथेनॉल की खरीद लागत ज्यादा होने के बावजूद, पेट्रोल की कीमतें ज्यों की त्यों बनी हुई हैं। किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए इथेनॉल की कीमतें ज्यादा रखी गई हैं। फिलहाल, तेल कंपनियां पेट्रोल की कीमतें नहीं बढ़ा रही हैं। कच्चे तेल से हुई बचत को रिफाइनिंग, ट्रांसपोर्ट और सब्सिडी पर खर्च किया जा रहा है। इसी वजह से फ्यूल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।
Summary:
भारत की इथेनॉल फ्यूल पॉलिसी से जुड़ी नई जानकारी सामने आई है। SIAM और ARAI ने स्पष्ट किया कि E20 फ्यूल इस्तेमाल करने पर व्हीकल वारंटी और इंश्योरेंस सुरक्षित रहेंगे। सरकार ने फ्यूल एफिशिएंसी में आई गिरावट को लेकर काम शुरू किया है। 2026 तक E20 रोडमैप जारी रहेगा। इथेनॉल से किसानों को फायदा मिला है और देश को विदेशी मुद्रा की बड़ी बचत भी हुई है।
