Delhi-Mussoorie Expressway से सफर होगा आसान, बनेगी 6400 करोड़ की एलिवेटेड रोड!


Bhawna Mishra

Bhawna Mishra

May 20, 2025


दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे (Delhi-Mussoorie Expressway Project) पर एक बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना ज़ोरों पर है। इस  प्रोजेक्ट के तहत 26 किलोमीटर लंबा एक नया एलिवेटेड रोड बनाया जा रहा है। यह रोड दिल्ली को सीधे मसूरी से जोड़ेगा। जहां यात्रियों को पहले घंटों की मशक्कत और देहरादून की भीड़भाड़ झेलनी पड़ती थी। वहीं अब यह सफर कहीं ज़्यादा आसान और सुगम हो जाएगा। देहरादून शहर के ट्रैफिक से राहत मिलेगी और टूरिस्ट के लिए यह एक बेहतरीन बदलाव होगा। ऐसे में अब जल्द ही दिल्ली से मसूरी की दूरी सिर्फ़ चार घंटे में तय की जा सकेगी।

 26 इलाकों में कि जाएगी तोड़फोड़ 

दिल्ली-मसूरी तेज़ यात्रा का सपना जल्द पूरा होने जा रहा है। लेकिन इसकी क़ीमत भी बड़ी होगी। दरअसल मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA) ने बताया है कि इस प्रोजेक्ट के तहत 2,614 घरों को तोड़ा जाएगा। ये सभी घर रिस्पना और बिंदल नदियों के किनारे बसे हैं। ऐसे में कुल 26 इलाकों में तोड़फोड़ की जाएगी। 

पिछले कई सालों में यह सबसे बड़ा रिहायशी इलाक़ा खाली करवाने का काम माना जा रहा है। जहां एक ओर लोग बेहतर सड़क सुविधा की उम्मीद कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर हज़ारों परिवार अपने घरों को खोने के चलते परेशान है।

मुआवजे को लेकर असमंजस्य का माहौल 

बताते चलें की दिल्ली-मसूरी एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट बजट करीब 6,100 करोड़ रुपये है। इस योजना से हजारों लोगों का घर प्रभावित होगा। इस प्रोजेक्ट के तहत सरकार ने मुआवज़े का वादा तो किया है। लेकिन ज़मीन के बदले ज़मीन देने की कोई ठोस योजना अब तक सामने नहीं आई है।

अधिकारियों का कहना है कि प्रभावित परिवारों को सिर्फ नकद मुआवज़ा ही दिया जाएगा। मुख्य कारण यह है कि सरकार के पास पुनर्वास के लिए ज़रूरी भूमि बैंक फिलहाल मौजूद नहीं है। ऐसे में यह साफ है कि रिहैबिलिटेशन पॉलिसी या तो बनी ही नहीं है या लागू होने में समय लग सकता है।

सर्वेक्षण और मार्किंग प्रोसेस की शुरुआत

सरकारी अधिकारियों ने इन क्षेत्र में आने वाले सभी घरों पर लाल निशान लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अगले 15 दिनों में सोशल इम्पैक्ट सर्वे भी पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है। लेकिन जहां एक तरफ सर्वेक्षण की प्रक्रिया तेज़ी से चल रही है, वहीं दूसरी तरफ लोगों के दिल में बस एक ही सवाल है: “हमारे लिए वैकल्पिक ज़मीन कहां है?” इस सवाल का अब तक कोई सटीक जवाब नहीं मिल पाया है। इसका असर उन परिवारों पर पड़ेगा, जो न सिर्फ अपने घर, बल्कि अपना पूरा अस्तित्व छोड़ने की कगार पर खड़े हैं।

टूरिज्म की रफ्तार के बीच निष्पक्षता की कमी 

उत्तराखंड कि यह एलिवेटेड रोड परियोजना पर्यटन को बढ़ावा देने की क्षमता रखती है। साथ ही, यह क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को भी बेहतर बनाएगी। इसके साथ एक बड़ी चिंता जुड़ी है। जैसे-जैसे यह परियोजना आगे बढ़ रही है, प्रभावित लोग निष्पक्षता की उम्मीद कर रहे हैं। वे स्पष्ट जवाबों का इंतजार कर रहे हैं, जो उन्हें यह बताए कि उनके जीवन का अगला कदम क्या होगा।

ऐसे में यह परियोजना उत्तराखंड के बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि संतुलित विकास की आवश्यकता को भी उजागर करती है। इस विकास के साथ यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है की यह विकास आम नागरिकों के अधिकारों और घरों की कीमत पर न हो।

SUMMARY

दिल्ली-मसूरी एक्सप्रेसवे परियोजना से दिल्ली और मसूरी के बीच यात्रा समय चार घंटे तक कम होगा। यह 26 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड रोड मसूरी को सीधे दिल्ली से जोड़ेगा। हालांकि, इस परियोजना के तहत 2,614 घरों को तोड़ा जाएगा। पुनर्वास की कोई ठोस योजना नहीं है, जिससे प्रभावित परिवारों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।


Bhawna Mishra
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She is a seasoned writer with a passion for Storytelling and a keen interest in diverse topics. With 2.5 years of experience, she excels in writing about Tech, Sports, Entertainment, and various Niche topics. Bhawna holds a Postgraduate Degree in Journalism and Mass Communication from St Wilfred’s College of Jaipur.

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