हाल ही में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए सरकार ने इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) को अपने अगले चंद्र मिशन, चंद्रयान-5 के लिए मंजूरी दे दी है। बता दें की इस मिशन में भारत और जापान के बीच साझेदारी होगी, जहां एक नया रोवर भेजा जाएगा। माना जा रहा है की यह चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर से भी दस गुना भारी होगा। ऐसे में यह मिशन टेक्नोलॉजी और एक्सप्लोरेशन में महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।

जापान के साथ मिलकर एडवांस्ड एक्सप्लोरेशन की नई शुरुआत
इस बारे में बात करते हुए ISRO के अध्यक्ष, वी नारायण ने चंद्रयान-5 मिशन की मंजूरी की पुष्टि की और जापान के साथ मिलकर किए जा रहे इस सहयोगात्मक प्रयास पर जोर दिया। उन्होंने बताया की इस कोलैबोरेशन का उद्देश्य दोनों देशों की तकनीकी क्षमताओं का फायदा उठाना और चंद्रमा पर साइंटिफिक रिसर्च को बढ़ावा देना है।
बेंगलुरू में एक कार्यक्रम के दौरान नारायण ने कहा, “हमें चंद्रयान-5 के लिए तीन दिन पहले मंजूरी मिली है, और यह मिशन जापान के साथ मिलकर किया जाएगा।”
बेहतर तकनीकी क्षमता के साथ आएगा चंद्रयान-5
चंद्रयान-5 के कुछ फीचर्स की बात करें तो इसका सबसे खास हिस्सा इसका रोवर होने वाला है, जो चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर से लगभग दस गुना भारी होगा। इसका वजन ज्यादा होने का मतलब है कि इस यान में न केवल बेहतर टेक्निकल इक्विपमेंट बल्कि ज्यादा गतिशीलता और लंबी अवधि तक काम करने की क्षमता होगी।
इन सभी फीचर्स की मदद से चंद्रमा की सतह का गहराई से अध्ययन किया जा सकेगा।
चंद्रयान-4 से नए अध्ययन की शुरुआत
बताते चलें की चंद्रयान-5 मिशन से पहले, ISRO फिलहाल 2027 में चंद्रयान-4 को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। चंद्रयान-4 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा से सैंपल इकट्ठा करना और उन्हें पृथ्वी पर वापस लाना है, ताकि इन सैंपल पर अधिक रिसर्च की जा सके। ऐसे में कहा जा सकता है की यह मिशन चंद्रयान-5 के लिए जरूरी डेटा और बेस को तैयार करेगा, जो भविष्य में एडवांस्ड रिसर्च में मदद करेगा।
भारत के स्पेस मिशन की सफलता
पिछले कुछ समय से देखा जाए तो भारत का यह चंद्रयान मिशन, स्पेस एक्सप्लोरेशन में लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है। बता दे की 2008 में लॉन्च हुआ चंद्रयान-1 ने चंद्रमा के व्यापक केमिकल और मिनरल मैपिंग किया। हालांकि 2019 में चंद्रयान-2 ने अपने अंतिम चरण में मुश्किलों का सामना करते हुए भी अपने ऑनबोर्ड हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरे के माध्यम से महत्वपूर्ण डेटा प्रदान किया।
फिर 2023 में चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग की, जिससे बाद भारत इस ऐतिहासिक उपलब्धि को हासिल करने वाला पहला देश बन गया।
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SUMMARY
ISRO को अपने आगामी चंद्र मिशन, चंद्रयान-5 के लिए मंजूरी मिल गई है। यह जापान के साथ साझेदारी में किया जाएगा। इस मिशन का प्रमुख आकर्षण उसका रोवर होगा, जो चंद्रयान-3 के रोवर से दस गुना ज्यादा भारी है। चंद्रयान-5 मिशन के साथ, ISRO 2027 में चंद्रयान-4 को लॉन्च करेगा, जो चंद्रमा से महत्वपूर्ण सैंपल इक्कट्ठा कर, रिसर्च को आगे बढ़ाएगा।
