छात्रों की सुरक्षा के लिए CBSE ने नई गाइडलाइन जारी की है। इसके तहत सभी एफिलिएटेड स्कूलों में CCTV कैमरे लगाना अनिवार्य होगा। यह जानकारी CBSE सेक्रेटरी हिमांशु गुप्ता ने एक सर्कुलर के माध्यम से साझा की है। इस नए नियम के तहत, स्कूलों के अहम क्षेत्रों में हाई-रेजोल्यूशन और ऑडियो-विजुअल रिकॉर्डिंग वाले कैमरे लगाए जाएंगे।

CBSE निर्देश जारी, कहाँ लगेंगे CCTV कैमरे?
CBSE के दिशा-निर्देश के तहत स्कूलों में इन स्थानों पर CCTV कैमरे लगाए जाएंगे-
- स्कूल की सीढ़ियां
- लैब और लाइब्रेरी
- एंट्री और एग्जिट डोर
- कैंटीन और स्टोर रूम
- स्कूल की सभी कक्षाएँ
- लेबोरेटरी और लाइब्रेरी
- प्लैग्राउंड और कॉमन एरिया
हालांकि बच्चों की प्राइवेसी का ध्यान रखते हुए, टॉयलेट और वॉशरूम में यह CCTV कैमरे नहीं लगाए जाएंगे।
15 दिनों तक फुटेज रखना अनिवार्य
CBSE के सर्कुलर में यह साफ कहा गया है कि स्कूलों को CCTV फुटेज कम से कम 15 दिनों तक सुरक्षित रखना होगा। इसका बैकअप भी ज़रूरी है। किसी भी स्थिति में जरूरत पड़ने पर यह रिकॉर्डिंग जांच एजेंसियों को उपलब्ध कराई जाएगी। किसी भी स्थिति में यह फुटेज अहम सबूत बन सकती है। साथ ही, कैमरों की लाइव मॉनिटरिंग भी जरूरी है ताकि तुरंत कार्रवाई की जा सके।
NCPCR के नियम अनुसार CCTV जरूरी
CBSE का यह फैसला NCPCR की स्कूल सेफ्टी मैनुअल के अनुरूप है। NCPCR स्कूलों में सिर्फ फिजिकल सिक्योरिटी तक सीमित नहीं है। यह मेंटल स्ट्रेस, बुलिंग, वायलेंस और एक्सीडेंट्स से बचाव पर भी जोर देता है। किसी भी बुलिंग का बच्चों के सेल्फ-एस्टिम पर गहरा असर होता है। यह लंबे समय तक स्ट्रेस पैदा कर सकती है। ऐसे में, CCTV निगरानी एक जरूरी हथियार बन सकता है।
सिर्फ CCTV नहीं, सुरक्षा भी जरूरी
देखा जाए तो यह कदम स्कूलों के फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाता है। साथ ही, CCTV की रेगुलर सर्वेलियंस और मेंटेनेंस की जरूरत को भी हाइलाइट करती है। यह सिर्फ निगरानी तक सीमित नहीं है। इसका उद्देश्य बच्चों के लिए एक सुरक्षित लर्निंग एनवायरनमेंट बनाना है।
ऐसे में यह बच्चों के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करेगा, जहां बुलिंग और गलत व्यवहार को शुरू होने से पहले ही रोका जा सके।
Summary
CBSE ने छात्रों की सुरक्षा के लिए नए नियम बनाए हैं। सभी स्कूलों में CCTV कैमरे लगाना अनिवार्य होगा। कैमरे कक्षाएं, लैब और प्लेग्राउंड जैसे जगहों पर लगाए जाएंगे। CCTV फुटेज कम से कम 15 दिन तक सुरक्षित रखनी होगी। लाइव मॉनिटरिंग को भी जरूरी बताया गया है। यह कदम NCPCR के दिशा-निर्देशों के अनुरूप है। इन नियमों का उद्देश्य बच्चों के लिए सुरक्षित माहौल बनाना है।
