कनाडा ने हाल ही में अपनी वीजा पॉलिसी में बड़ा बदलाव किया है। पिछले 10 सालों में पहली बार इतनी सख्ती देखने को मिली है।दरअसल, यह बदलाव ऐसे वक्त हुआ जब कनाडा दुनिया भर के छात्रों के लिए सबसे पॉपुलर डेस्टिनेशन माना जाता था।
खासतौर पर भारतीय छात्रों के लिए यह देश एक पसंदीदा स्टडी डेस्टिनेशन रहा है।

ऐसे में नई वीजा पॉलिसी के तहत अब कनाडा में पढ़ाई करना पहले जितना आसान नहीं रहेगा। आइए जानते है, इस नई वीजा पॉलिसी (canada visa policy) का भारतीय छात्रों पर क्या असर होगा-
कनाडा में पढ़ाई का सपना हुआ मुश्किल
कनाडा के इस नई वीज़ा पॉलिसी का सबसे ज्यादा असर विदेशी छात्रों पर पड़ेगा। इमिग्रेशन, रिफ्यूजीज़ एंड सिटिजनशिप कनाडा (IRCC) के अनुसार, 2025 में भारतीय छात्रों के करीब 80% वीज़ा आवेदन रिजेक्ट कर दिए गए। कनाडा में हर साल बड़ी संख्या में विदेशी छात्र पढ़ाई करने जाते हैं। इनमें से लगभग 40% छात्र भारतीय होते हैं।
PIE न्यूज़ ने ‘बॉर्डरपास’ डेटा के हवाले से बताया है कि 2025 के दूसरे क्वार्टर में हर पांच में से चार भारतीय छात्रों के वीज़ा आवेदन रिजेक्ट हो गए। सरकारी रिपोर्ट्स में भी यही स्पष्ट हुआ हैं। वही पिछले साल करीब 1.88 लाख भारतीय छात्रों को कनाडा में पढ़ाई की अनुमति मिली थी। हालांकि समय के साथ यह संख्या अब कम होती जा रही है।
ये देश सबसे ज्यादा प्रभावित
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कनाडा की वीजा रिजेक्शन रेट ने सबसे ज्यादा एशिया, अफ्रीका और अन्य क्षेत्रों के छात्रों को प्रभावित किया है। यह दर्शाता है कि कनाडा अपनी इंटरनेशनल एजुकेशन पॉलिसी में बदलाव ला रहा है।
इंडियन स्टूडेंट्स के बीच कनाडा की लोकप्रियता में गिरावट देखी गई है। जहां 2022 में यह 18% फीसदी थी। 2024 तक यह घटकर केवल 9% रह गई है। वहीं, जर्मनी की लोकप्रियता में काफी बढ़ोतरी देखी गई है। अब 31% छात्र जर्मनी को अपनी पहली पसंद मानते हैं।
कनाडा की सख्त वीज़ा पॉलिसी के पीछे क्या है वजह?
कनाडा की वीज़ा पॉलिसी में बदलाव के पीछे कई चुनौतियां शामिल हैं। इन सभी में सबसे बड़ी परेशानी है- रहने के लिए घरों की कमी। इसके अलावा, स्कूल-कॉलेज और अन्य सुविधाओं पर भी दबाव बढ़ गया है। साथ ही, वहां के लोगों की यह मांग है कि सरकार पहले अपने देश के लोगों को नौकरी और सुविधाएं दे।
इस मामले पर बॉर्डरपास कंपनी के एक अधिकारी जोनाथन शेरमेन ने PIE न्यूज़ से बात करते हुए कहा, ‘अब IRCC वीज़ा एप्लीकेशन की बहुत ध्यान से जांच रहा है। ऐसे में अब विदेशी छात्रों के लिए कनाडा में पढाई करने का सपना पहले जितना आसान नहीं रहा है।
कनाडा में पढ़ाई का खर्च हुआ दोगुना
नई वीज़ा पॉलिसी के साथ कुछ और मुश्किलें भी जुड़ गई हैं। अब कनाडा में पढ़ाई के लिए मिनिमम फाइनेंशियल प्रूफ की राशि दोगुनी कर दी गई है। यह अब CA$20,635 (करीब 13.13 लाख रुपये) हो गई है। इसके अलावा, काम करने के नियम भी पहले से सख्त बताए जा रहे हैं। ऐसे में विदेशी छात्रों के लिए पढ़ाई के साथ नौकरी करना अब थोड़ा मुश्किल हो सकता है। फ़िलहाल सरकार ने 2025 के लिए 4.37 लाख स्टडी परमिट जारी करने की योजना बनाई है।
अब भारतीय छात्रों की पसंद बन रहा है जर्मनी
जहां एक ओर कनाडा में वीज़ा सख्ती बढ़ी है, वहीं दूसरी ओर जर्मनी में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मजबूत अर्थव्यवस्था, किफायती और पब्लिक फंडेड यूनिवर्सिटी के चलते जर्मनी अब भारतीय छात्रों के लिए एक नया पसंदीदा देश बन रहा है।
जर्मनी के सरकारी रिकार्ड्स के मुताबिक, पिछले पांच सालों में जर्मनी में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। माना जा रहा है कि 2025 तक यह संख्या लगभग 60,000 तक पहुंच जाएगी। इससे स्पष्ट है की इंडियन स्टूडेंट ऐसे देशों को चुन रहे हैं, जहां उन्हें कम खर्च में अच्छी पढ़ाई और बेहतर नौकरी के अवसर मिलें।
Summary:
कनाडा की नई वीज़ा पॉलिसी से विदेशी, खासकर भारतीय छात्रों के लिए पढ़ाई करना अब पहले जितना आसान नहीं रहा। वीज़ा रिजेक्शन बढ़ा है, खर्च भी दोगुना हो गया है। 2025 तक स्टडी परमिट की संख्या में भी कमी देखी गई है। इस बीच, जर्मनी छात्रों की नई पसंद बन रहा है। वहां कम खर्च में बेहतर शिक्षा और करियर के मौके मिल रहे हैं। ऐसे में भारतीय समेत अन्य कई देशों के छात्र भी जर्मनी में स्टडी करना चाहते हैं।
