कनाडा में अध्ययन करने के इच्छुक भारतीय छात्रों के लिए एक बड़ी अपडेट सामने आयी हैं। दरअसल, कनाडा की ओर से साल 2024 में केवल 231,000 अध्ययन परमिटों (Canada Study Permit Approval) को मंजूरी देने की उम्मीद है, जो 2023 से लगभग 50% कम है। इस कदम को उठाने के पीछे का कारण कनाडा नई माइग्रेशन पॉलिसीस और बढ़ी हुई वित्तीय आवश्यकताओं को माना जा रहा हैं। हालांकि इस फैसले ने कई भावी छात्रों को निराश किया हैं।

भारतीय छात्र इस गिरावट से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं क्योंकि वे कनाडा की अंतर्राष्ट्रीय छात्र आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं। आइए जानते हैं, कनाडा में अध्ययन परमिट (Canada Study Permit) की संख्या में गिरावट के मुख्य कारणों पर-
अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का भविष्य
जनवरी 2024 में लागू की गई सीमा ने स्टडी परमिट की मात्रा को प्रभावित किया है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए अनिश्चित भविष्य की स्थिति बन गई है।
स्टडी परमिट अप्रूवल में गिरावट
2024 में कनाडा में केवल 231,000 अध्ययन परमिट स्वीकृत होने की उम्मीद है, जो 2023 में 436,000 से 47% कम है। यह गिरावट कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एक बड़े बदलाव को दर्शाती है।
भारतीय छात्रों पर पड़ा असर
कनाडा सरकार के इस फैसले से भारतीय छात्र काफी प्रभावित हुए हैं। ऐसा तब हुआ है जब 2024 के पहले छह महीनों में उन्हें जारी किए गए अध्ययन परमिट की संख्या में 50% की गिरावट आई है। ऐसे में भारतीय छात्र अब विदेश में अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों में पढ़ाई करने पर विचार कर रहे हैं।
सरकारी स्कीम व वित्तीय आवश्यकताएं
कनाडा सरकार ने वित्तीय आवश्यकताओं को कड़ा कर दिया है। ये स्टडी परमिट में आई गिरावट का एक प्रमुख कारण हैं। बता दें, दिसंबर 2023 में इमीग्रेशन मिनिस्टर ने आवश्यक धनराशि को $10,000 से बढ़ाकर $20,635 कर दिया था।
पोस्ट ग्रेजुएट एप्लीकेशन्स पर प्रभाव
बताते चलें की कनाडा में मास्टर और डॉक्टरेट जैसे पोस्ट ग्रेजुएट कार्यक्रमों के लिए आवेदनों में भी काफी कमी आई है। जनवरी से जून 2024 तक, केवल 114,000 अध्ययन परमिट स्वीकृत किए गए, जो पिछले साल की तुलना में 48% कम है।
उपरोक्त दिए गए इन सभी महत्वपूर्ण पहलुओं के अलावा, यह नीति बदलाव कनाडा में रहने की बढ़ती लागत और विदेशी विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई हैं। इमिग्रेशन मिनिस्टर मार्क मिलर ने जनवरी 2024 में घोषणा की कि अगले दो वर्षों में विदेशी छात्रों की संख्या में वृद्धि पर एक सीमा लगाई जाएगी।
