सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल अब परमाणु ऊर्जा में कदम रख रही है। कंपनी ने हाल ही में भारत के न्यूक्लियर एनर्जी प्रोग्राम में दिलचस्पी दिखाई है। BSNL ने भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (NPCIL) के एक प्रस्ताव पर जवाब दिया है। यह प्रस्ताव दो छोटे परमाणु रिएक्टर (220 MW) लगाने को लेकर था। दरअसल इन रिएक्टर का प्रयोग कंपनी खुद के लिए बिजली बनाने में करेगी।
इस बीच कंपनी ने प्रोजेक्ट से जुड़े कई अहम सवाल पूछे हैं। कंपनी ने प्रोजेक्ट से जुड़े कई अहम पहलुओं पर ध्यान दिया है।यह साफ दिखाता है कि BSNL अब ऊर्जा के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बनाना चाहती है।

NPCIL ने नियमों को लेकर दी गाइडलाइन
एनपीसीआईएल ने बताया कि रिएक्टर का आकार 220 MW तय किया गया है। इसके लिए परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB) शहरी साइटों का मूल्यांकन करेगा। लैंड साइज, फंडिंग की जिम्मेदारी और प्लांट की पूरी जानकारी पहले से RFP में दी गई है। NPCIL ने फिलहाल कार्बन क्रेडिट पर कोई जानकारी नहीं दी है। लेकिन यह साफ कहा है कि डेवलपर्स को अपनी फंडिंग खुद करनी होगी।
भारत छोटे रिएक्टर के लिए भी नई तकनीकें विकसित कर रहा है। इनमें 50 MW का भारत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर और 5 MW का गैस-कूल्ड माइक्रो मॉड्यूलर रिएक्टर शामिल हैं।
कॉर्पोरेट इंडिया ने एनर्जी सेक्टर में दिखाई दिलचस्पी
BSNL के साथ कई बड़ी कंपनियों ने भी न्यूक्लियर एनर्जी प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखाई है। टाटा, रिलायंस, अडानी, गोदरेज, बीएचईएल, आईटीसी और भारतीय रेलवे जैसी दिग्गज कंपनियां इसमें शामिल हैं। अब तक 687 सवाल सामने आ चुके हैं। ये सवाल फंडिंग, टैक्स और ओनरशिप जैसे मुद्दों को उजागर करते हैं।
आइए जानते है क्या है ये मुख्य प्रश्न-
- NPCIL रिएक्टर कि कुछओनरशिप प्राइवेट कंपनियों को दे सकता है। अगर हां, तो इसका टैक्स पर क्या असर होगा।
- राजस्थान के पुराने प्लांट का डेटा अब भी क्यों इस्तेमाल किया जा रहा है।
- क्या रिएक्टर के पास सोलर प्रोजेक्ट लगाने के लिए सुरक्षा ज़ोन को घटाकर 0.5 km किया जा सकता है?
- ऑपरेशन और मेंटेनेंस की लागत इतनी ज्यादा क्यों है?
- अगर रिएक्टर के पास सोलर जैसे प्रोजेक्ट लगाए जाएं, तो सुरक्षा ज़ोन को 0.5 किलोमीटर तक कम किए जाएंगे?
- NPCIL 60 पैसे प्रति यूनिट का जो चार्ज ले रहा है, क्या यह सही है।
- प्लांट लोड फैक्टर अभी 68.5% है। क्या इसे 72.5% तक नहीं बढ़ाया जा सकता है।
NPCIL न्यूक्लियर डैमेज एक्ट 2010 के तहत इस प्लांट का संचालन करेगा। डेवलपर्स को इंश्योरेंस और सुरक्षा खर्च वापस करना होगा। प्रमोटर देश के अलग-अलग हिस्सों में प्लांट लगाने के लिए प्रस्ताव रख सकते हैं। साथ ही, कैप्टिव परमाणु ऊर्जा इस्तेमाल को लेकर नए बिजली नियमों में बदलाव पर भी चर्चा चल रही है।
परमाणु ऊर्जा सेक्टर में कई दिग्गज कंपनियों ने रुचि दिखाई है। लेकिन अब देखना होगा कि कितनी कंपनियां आगे आएंगी। खासकर वे, जो NPCIL की शर्तों के तहत काम करेंगी।
Summary
सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल ने अब परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में कदम रखना चाहती है। कंपनी ने 220 मेगावाट के दो छोटे रिएक्टर लगाने के प्रस्ताव पर जवाब दिया है। टाटा, रिलायंस और अडानी जैसी बड़ी कंपनियां भी इस क्षेत्र में दिलचस्पी दिखा रही हैं। NPCIL ने इस संबंध ने नियम और फंडिंग की जिम्मेदारी स्पष्ट की है।
