केवल Aadhaar, PAN, Voter ID होना नहीं है भारतीय होने का Proof-  बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला!


Bhawna Mishra

Bhawna Mishra

Aug 14, 2025


बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने भारतीय नागरिकता को लेकर अहम बयान दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आधार, पैन या वोटर आईडी जैसे दस्तावेज़ रखने से कोई व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं बन जाता। जस्टिस अमित बोरकर ने यह भी कहा कि नागरिकता अधिनियम, 1955 (The Citizenship Act, 1955) ही राष्ट्रीयता को नियंत्रित करने वाला प्रमुख कानून है। 

यह कानून तय करता है कि कौन व्यक्ति भारतीय नागरिक हो सकता है, नागरिकता कैसे प्राप्त की जाती है और किन कारणों से यह नागरिकता खोई जा सकती है।

बाबू अब्दुल रूफ सरदार के खिलाफ दर्ज हुआ मामला

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बाबू अब्दुल रूफ सरदार को जमानत देने से इनकार कर दिया। वह कथित तौर पर एक बांग्लादेशी नागरिक हैं। उन पर बिना वैध दस्तावेजों के इल्लीगल तरीके से भारत में प्रवेश करने का आरोप है। इतना ही नहीं सरदार पर जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करने के भी आरोप है। इनमें आधार, पैन, वोटर ID कार्ड और भारतीय पासपोर्ट शामिल हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले 10 सालों से भारत में रह रहे हैं।

अदालत ने स्पष्ट किया की दस्तावेज़ सिर्फ पहचान और सरकारी सुविधाओं के लिए हैं, सिटीजनशिप साबित करने के लिए नहीं। बेंच ने यह भी कहा कि कानून के मुताबिक जो लोग गैरकानूनी तरीके से आए हैं। वह कानूनी तरीके से भारत की नागरिकता नहीं ले सकते है।

क्यों खारिज की गई यह ज़मानत?

इस पुरे मामले पर जस्टिस बोरकर ने कहा कि यह केस देश में अधिक समय तक रहने से कहीं अधिक गंभीर है। इसमें भारतीय नागरिकता का झूठा दावा करने के लिए डाक्यूमेंट्स में हेराफेरी शामिल है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। अदालत ने प्रॉसिक्यूटर की चिंता पर भी गौर किया कि इस बीच आरोपी सरदार फरार हो सकता है। UIDAI द्वारा दस्तावेज़ों का वेरिफिकेशन जारी है।

प्रॉसिक्यूटर्स का कहना है कि यह एक बड़ा संगठित नेटवर्क हो सकता है। खासतौर पर जो इल्लीगल इमिग्रेशन और पहचान से जुड़ी धोखाधड़ी को बढ़ावा देता है। फिलहाल पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है।

कानूनी और संवैधानिक संदर्भ में अदालत का फैसला

अदालत ने इस मामले पर अपना फैसला सुनाते समय देश के बंटवारे के बाद की स्थिति का ज़िक्र किया। उन्होंने बताया की उस दौर में नागरिकता तय करना बहुत मुश्किल था। संविधान बनाने वालों ने नागरिकता से जुड़े नियमों की शुरुआत की और संसद को आगे चलकर ज़रूरत के अनुसार नए कानून बनाने का अधिकार दिया। इसी के तहत 1955 में ‘नागरिकता अधिनियम’ (Citizenship Act 1955) लाया गया।

कोर्ट ने आगे कहा कि यह कानून वैध नागरिकों और अवैध प्रवासियों के बीच स्पष्ट फर्क करता है। इसका उद्देश्य देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना है।

Summary:

बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आधार, पैन या वोटर आईडी जैसे दस्तावेज़ रखना नागरिकता साबित नहीं करता। नागरिकता अधिनियम, 1955 ही भारतीय नागरिकता का मूल कानून है। अदालत ने अवैध प्रवासियों को नागरिकता से रोका और कहा कि दस्तावेज़ केवल पहचान के लिए हैं। यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा और पहचान धोखाधड़ी से लड़ने में अहम है।


Bhawna Mishra
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She is a seasoned writer with a passion for Storytelling and a keen interest in diverse topics. With 2.5 years of experience, she excels in writing about Tech, Sports, Entertainment, and various Niche topics. Bhawna holds a Postgraduate Degree in Journalism and Mass Communication from St Wilfred’s College of Jaipur.

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