भारत की Top IT Firms में औसत बेंच टाइम में 50% की गिरावट, जानिए क्या है कारण? 


Mohul Ghosh

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May 08, 2025


भारत की प्रमुख IT कंपनियों में बेंच टाइम (जब कर्मचारी किसी प्रोजेक्ट पर नहीं होते) में 50% की गिरावट आई है, जो कॉस्ट कंट्रोल और एफिशिएंसी बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आपको बता दें की पिछले कुछ सालों में, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज(TCS), Infosys, Wipro, और HCLTech और Accenture जैसी टॉप IT कंपनी ने अपनी बेंच साइज में कटौती की है।

भारत की Top IT Firms में औसत बेंच टाइम में 50% की गिरावट, जानिए क्या है कारण? 

बेंच साइज और टाइमलाइन में गिरावट

कुछ इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स और स्टाफिंग फर्म का कहना है की ज्यादातर कंपनियों ने इस साल अपनी टीम साइज को कम किया है, वहीं कुछ कंपनियां मार्जिन बचाने और उपयोग दर (utilization rates) बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं, जिसका एक प्रमुख कारण रेवेन्यू में आने वाली कमी है। ऐसे में इस बदलाव का असर न सिर्फ बेंच साइज पर पड़ा है, बल्कि बेंच होल्डिंग टाइमलाइन में भी काफी गिरावट देखने को मिली है।

IT सेक्टर में बेंचिंग का मतलब

IT सर्विस सेक्टर में बेंचिंग की बात करें तो इसका मतलब उन कर्मचारियों से है, जो पेरोल पर तो होते हैं, लेकिन अभी तक किसी एक्टिव प्रोजेक्ट पर असाइन नहीं किए गए हैं। इस बीच अचानक क्लाइंट की मांग आने पर उन्हें बैकअप के रूप में रखा जाता है। मार्केट इंटेलिजेंस फर्म UnearthInsight के डेटा के अनुसार, एवरेज बेंच टाइम अब 35-45 दिन तक घट चुका है, जबकि फाइनेंशियल ईयर 20- 21 में यह समय 45-60 का दिन था। 

एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह ट्रेंड फाइनेंशियल ईयर 2026 तक जारी रह सकता है।

कर्मचारियों को Bench Layoffs का खतरा

वर्तमान समय में यह देखा जा रहा है कि जिन कर्मचारियों के पास विरासत कौशल (legacy skills) में 9-14 साल का एक्सपीरियंस है, उन्हें भी छंटनी का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI),  मशीन लर्निंग (ML) और क्लाउड जैसे स्पेशलाइज्ड स्किल्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। 

स्टाफिंग फर्म TeamLease Digital के आंकड़ों के अनुसार, बेंच पर नियुक्त हुए एम्प्लॉयीज की संख्या में भी बड़ी कमी आई है। जहां पहले ये कर्मचारी IT कंपनी के कुल कर्मचारियों का 10-15% हिस्सा होते थे, वही अब ये घटकर सिर्फ 2-5% ही रह गए हैं।

Benching पर क्या है एक्सपर्ट्स की राय? 

इसके अलावा,  एक्सपर्ट स्टाफिंग फर्म Xpheno के को-फाउंडर कमल कारंत के अनुसार, 2022-23 की शुरुआत में हाई बेंच वॉल्यूम, दरअसल साल 2021-22 की शुरुआत में हुई हाइपर हायरिंग का परिणाम था, जिससे यूटिलाइजेशन रेट में गिरावट आई। उन्होने आगे कहा कि रेवेन्यू और मार्जिन दबाव के बीच 2023 में कर्मचारियों की संख्या में बदलाव ने बेंच वॉल्यूम को प्रभावित किया, जिसके परिणामस्वरूप यूटिलाइजेशन रेट में फिर से वृद्धि देखने को मिली। 

इस बारे में बात करते हुए  TeamLease Digital के IT बिजनेस हेड कृष्ण विज ने कहा- 

“70-75% यूटिलाइजेशन से, कंपनियां 80-85% यूटिलाइजेशन रेट तक पहुंचने लगी हैं। एट्रिशन भी 28-30% से घटकर 11-13% हो गया है, जब आप लोगों को नहीं खो रहे होते हैं, तो आप बेंच पर रखे रिसोर्सेज का उपयोग भी नहीं किया जाता। GCC द्वारा टैलेंट पूल से सीधे भर्ती करने के साथ, IT फर्मों को बढ़ते कम्पटीशन का सामना करना पड़ रहा है। 

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                                   SUMMARY 

भारत की प्रमुख IT कंपनियों में बेंच टाइम 50% घटा है, जिससे कॉस्ट कंट्रोल और एफिशिएंसी बढ़ रही है। कंपनियां मार्जिन बचाने और यूटिलाइजेशन रेट बढ़ाने के लिए टीम साइज घटा रही हैं। फिलहाल AI, ML और क्लाउड जैसे स्किल्स की मांग बढ़ रही है, जिसके चलते पुराने स्किल्स वाले कर्मचारी प्रभावित हो सकते हैं।


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