Loan Written Off: बैंकों ने 10 साल में 12 लाख करोड़ रुपये डाले बट्टे खाते में, 50% सरकारी बैंकों ने डाले


Mohul Ghosh

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Dec 29, 2024


भारत के बैंकों ने 2015 से 20×24 तक कुल 12.3 लाख करोड़ रुपये के ऋण को बट्टे खाते में डाले है, जिसमें से 53% यानी 6.5 लाख करोड़ रुपये के ऋण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले पांच वर्षों में माफ किए है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में इस बारे में जानकारी दी है। 2019 में ऋण माफी का उच्चतम स्तर 2.4 लाख करोड़ रुपये था, जबकि 2024 में यह घटकर 1.7 लाख करोड़ रुपये रह गया। यह बड़ा कदम बैंकों के लिए अपनी बैलेंस शीट को साफ करने और ऋण वसूली के प्रयासों को को दर्शाता है। बता दें की इन सभी में खासतौर पर पब्लिक सेक्टर बैंक का योगदान काफी अधिक रहा हैं।

Loan Written Off: बैंकों ने 10 साल में 12 लाख करोड़ रुपये डाले बट्टे खाते में, 50% सरकारी बैंकों ने डाले

पब्लिक सेक्टर बैंक लोन माफ करने में सबसे आगे

पिछले पांच वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कुल 6.5 लाख करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाले, जो कुल माफ की गई राशि का 50% से अधिक है। यह दर्शाता है कि सरकारी बैंकों ने नॉन परफार्मिंग एसेट (NPA) से निपटने और अपनी वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए निरंतर कदम उठाए हैं।  वही, साल 2019 में राइट-ऑफ़ राशि 2.4 मिलियन रुपये थी, जो 2015 में असेट क्वालिटी रिव्यु (AQR) प्रक्रिया शुरू होने का एक मुख्य कारण था।

राइट-ऑफ में कमी, चुनौतियां जारी

वित्त वर्ष 2019 में ऋण राइट-ऑफ 240,000 करोड़ रुपये था, लेकिन फाइनेंशियल ईयर 2024 में गिरकर1.7 लाख करोड़ रुपए हो गया। FY24 के लिए राइट-ऑफ लगभग 165 करोड़ रुपये थी, जो कुल बैंक ऋण का सिर्फ 1% है। जो यह साफ़ तौर पर दर्शाता है कि राइट-ऑफ की कुल राशि में कमी आई है। हालांकि, वे अभी भी बैंकों की वित्तीय चुनौतियों का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

रिकवरी के प्रयास जारी

यह जानना जरूरी है कि लोन राइट-ऑफ करने के बाद भी उधारकर्ता की देनदारियाँ समाप्त नहीं होती है। दरअसल, बैंक विभिन्न वसूली उपायों का सहारा लेते हैं, जैसे सिविल कोर्ट में केस दायर करना, वित्तीय संपत्तियों का सेक्युरिटिज़ेशन और SARFAESI अधिनियम के तहत कार्रवाई करना। 

इसके अलावा, इन्सॉल्वेंसी व बैंकरप्सी कोड (IBC) का इस्तेमाल करके भी कॉर्पोरेट रिकवरी की जाती है। रिकवरी के इन प्रयासों में समझौते के लिए बातचीत और NPA को विशेष एजेंसियों को बेचना भी शामिल है।

PSB ने असेट क्वालिटी में दिखाया सुधार 

बता दें की हाई लोन  बट्टे खाते में डालने के बावजूद, पब्लिक सेक्टर बैंकों ने  (PSB) ने अपनी असेट क्वालिटी में उल्लेखनीय सुधार किया है। सितंबर 2024 तक, PSB का ग्रॉस NPA 2018 के 14.6% से घटकर केवल 3.01% रह गया। इस सुधार के साथ, FY24 में 1.41 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड नेट प्रॉफिट ने यह स्पष्ट किया कि बैंकों ने NPA से जुड़ी चुनौतियों को प्रभावी ढंग से संभालने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

ऐसे में इन सभी बातों के निष्कर्ष में यह कहा जा सकता है की भारतीय बैंक NPA को कम करने और क्रेडिट गुणवत्ता सुधारने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। बट्टे खाते में डालने के बावजूद, उधारकर्ताओं पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता, क्योंकि बैंक विभिन्न कानूनी और वित्तीय उपायों के जरिए सक्रिय रूप से रिकवरी प्रोसेस को लागू कर रहे हैं।

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                                             SUMMARY

भारत के बैंकों ने 2015 से 2024 तक कुल 12.3 लाख करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाले, जिसमें पब्लिक सेक्टर बैंक का योगदान 6.5 लाख करोड़ रुपये था। हालांकि, ऋण माफी में कमी आई, 2019 में 2.4 लाख करोड़ रुपये से घटकर 2024 में 1.7 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसके बावजूद, बैंकों ने NPA से निपटने और रिकवरी प्रयासों में उल्लेखनीय सुधार किया है।


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