टेक दुनिया इस समय एक महत्वपूर्ण खोज कर रही है। दरअसल AI की बढ़ती जरूरतों ने टेक कंपनियों को नए ऑप्शंस ढूंढ़ने पर मजबूर किया है। ऐसे में अब उनकी नजरें धरती से आगे बढ़कर चांद पर टिक गई हैं। धरती पर स्पेस और रिसोर्स लगातार घट रहे हैं। यही कमी एक नई स्पेस रेस को जन्म दे रही है।

स्पेस में AI इंफ्रास्ट्रक्चर
हाल ही में टेक इंडस्ट्री से जुड़ी एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। दरअसल गूगल ने हाल ही में प्रोजेक्ट सनकैचर (Project Suncatcher) लॉन्च किया। यह कंपनी का बड़ा मूनशॉट आइडिया है। इस प्रोजेक्ट का फोकस धरती के लिमिटेड रिसोर्स की कमी को पूरा करना है। गूगल इसके लिए स्पेस में डेटा सेंटर स्थापित करने की योजना बना रहा है।
आपको बता दें कि गूगल ऐसा करने वाली अकेली कंपनी नहीं है। स्टारक्लाउड, लोनस्टार डेटा सिस्टम्स और एक्सिओम स्पेस जैसी कंपनियां भी इसी लिस्ट में शामिल हैं।
ये सभी कंपनियां AI और मशीन लर्निंग के लिए स्पेस में इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं। इस योजना का उद्देश्य धरती पर बढ़ती ऊर्जा और कूलिंग की जरूरत को पूरा करना है।
खास बात यह है कि ऑर्बिट में ये मशीनें सीधे सोलर एनर्जी का इस्तेमाल कर सकती हैं। जबकि धरती पर रिसोर्स कम हैं और डिमांड ज़्यादा है।
इंडस्ट्रियल ग्रोथ के सीमित विकल्प
जेफ़ बेज़ोस जैसे इंडस्ट्रिलिस्ट अब सिर्फ अर्थ बेस्ड रिसोर्स तक सीमित नहीं है। वे इंसानों की जिंदगी को बढ़ाने और भविष्य के विकल्प तलाशने की बात कर रहे हैं। एक बातचीत के दौरान उन्होंने एनवायरनमेंट पर भी ध्यान दिया।
उन्होंने कहा कि दुनिया ने जीवन की कई सेक्टर्स में तरक्की की है। लेकिन उन्होंने साफ कहा- “आज लगभग सब कुछ पहले से बेहतर है, एनवायरनमेंट को छोड़कर।
भविष्य में अंतरिक्ष में लगाई जाएगी फैक्ट्रियां
बेज़ोस के अनुसार, नेचर पर दबाव बढ़ रहा है। हमारे पास केवल एक धरती है। इसलिए इंडस्ट्रियल बढ़ोतरी की लिमिटेशन हैं। वरना धरती और भी ज्यादा प्रभावित होंगी।
उन्होंने कहा कि इंसान और उनके इनोवेशन लगातार अर्थ को बर्बाद नहीं कर सकते।
एक दिन, इन फ़ैक्ट्रियों और डेटा सेंटर्स को धरती से दूर ले जाना होगा। इसका पहला कदम चाँद और ऑर्बिटल स्टेशनों से शुरू होगा।
स्पेस में AI का परीक्षण कर रहा गूगल सनकैचर
गूगल और उनका प्रोजेक्ट सनकैचर ऑर्बिट में AI चलाने का परीक्षण कर रहे हैं। कंपनी देखना चाहती है कि इससे धरती पर ऊर्जा का दबाव कम हो सकता है। जैसा पहले बताया गया था, इसका उद्देश्य काफी बड़ा है। धरती पर ज्यादा प्रेशर डाले बिना पावर और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए स्पेस का इस्तेमाल करना।धरती पहले से ही रिसोर्स और डिमांड के दबाव में है।
पिछले महीने इटैलियन टेक वीक में बोलते हुए, बेज़ोस ने भविष्यवाणी की। उन्होंने कहा कि 2040 के दशक तक लाखों लोग स्पेस में रह सकते हैं। इन लोगों को AI सिस्टम और ऑफ-प्लैनेट काम करने वाले रोबोट का सपोर्ट मिलेगा।
बेज़ोस ने कहा, ‘मुझे लगता है कि अगले कुछ दशकों में लाखों लोग स्पेस में रहेंगे। ‘उन्होंने स्पष्ट किया कि कई लोग ऐसा सिर्फ इसलिए करेंगे क्योंकि वे ऐसा करना चाहते हैं। यह इसलिए नहीं कि धरती अब रहने लायक नहीं रही।
टेक लीडर्स का स्पेस विज़न
बेज़ोस अकेले नहीं हैं। दूसरे टेक लीडर भी स्पेस को लेकर विचार रखते हैं। OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने कहा है कि भविष्य में ग्रेजुएट्स स्पेस में अच्छी सैलरी वाली नौकरियां पा सकते हैं। एलन मस्क का मानना है कि इंसान 2028 तक मंगल पर पहुंचेंगे।
वहीं ब्लू ओरिजिन और स्पेसएक्स जैसी कंपनियां रॉकेट, लैंडर और ऑर्बिटल हैबिटैट बना रही हैं। उनके अनुसार, स्पेस कोई बचने का रास्ता नहीं है। यह बढ़ने और आगे जाने का मौका है।
Summary:
टेक कंपनियां अब स्पेस की ओर बढ़ रही हैं। AI और मशीन लर्निंग की मांग तेजी से बढ़ रही है। गूगल का प्रोजेक्ट सनकैचर ऑर्बिट में डेटा सेंटर बनाने की कोशिश है। स्टारक्लाउड, ब्लू ओरिजिन और स्पेसएक्स भी इसी दिशा में काम कर रही हैं। बेज़ोस और मस्क का मानना है कि भविष्य में लाखों लोग स्पेस में रहेंगे। इसका उद्देश्य धरती को सिर्फ़ रहने के लिए सुरक्षित रखना और स्पेस में नई संभावनाएं तलाश करना है।
